केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन का आज 34वां दिन है. सोमवार को यह तय हुआ है कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत 30 दिसंबर को होगी. कांग्रेस ने सरकार की ओर से किसान संगठनों को नए दौर की बातचीत के लिए बुलाने के मामले में मंगलवार को कहा कि सरकार को मौखिक आश्वासन देने की बजाय संसद के जरिए कानून बनाकर किसानों की मांगों को पूरा करना चाहिए.

पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने यह आरोप भी लगाया कि तीनों कृषि कानून लाना न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को खत्म करने की साजिश है. दरअसल, सरकार ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी संबंधित मुद्दों पर अगले दौर की बातचीत के लिए 30 दिसंबर को बुलाया है. इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, जिनका कोई नतीजा नहीं निकला है.
शुक्ला ने संवाददाताओं से कहा, “किसानों के आंदोलन को राजनीतिक दलों का आंदोलन बताना गलत है. यह किसानों को बदनाम करने का प्रयास है. यह आंदोलन पूरी तरह से किसानों का आंदोलन है. सरकार को किसानों को बदनाम करने का प्रयास नहीं करना चाहिए.” उन्होंने कहा, “सरकार में बैठे लोग कह रहे हैं कि वो आश्वासन देते हैं कि MSP खत्म नहीं होगी और किसानों की जमीन सुरक्षित रहेगी. लेकिन सवाल यह है कि क्या इन मौखिक आश्वासनों से किसानों को कोई कानूनी सुरक्षा मिलेगी?”
उन्होंने कहा, “हमारी मांग है कि सरकार किसानों की बात सुने और उनकी मांगों को स्वीकार करे. ये मांगें संसद से पारित कानून का हिस्सा होनी चाहिए.” वहीं, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, “जब किसी किसान संगठन ने इन कानूनों को बनाने की मांग नहीं की तो फिर किसके कहने पर ये काले कानून बनाए गए?” सच्चाई यह है कि MSP को खत्म करने और खेती पर उद्योगपतियों का कब्जा कराने का षड्यंत्र है.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस राजस्थान और पूरे देश में किसानों के आंदोलन के साथ खड़ी रहेगी और सरकार को मांगें मानने के लिए मजबूर करेगी.
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