चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने तालिबान की आवाज को बुलंद करते हुए कहा कि दुनिया को अफगानिस्तान पर लगे एकतरफा आर्थिक प्रतिबंध को जल्द से जल्द हटा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की विदेशी मुद्रा भंडार एक राष्ट्रीय संपत्ति हैं जिसपर पर उस देश के नागरिकों का हक होना चाहिए और इसका इस्तेमाल उनके अपने ही लोगों द्वारा किया जाना चाहिए। अफगानिस्तान पर राजनीतिक दबाव डालने के लिए किसी भी तरह की सौदेबाजी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान के नागरिकों से उनका हक नहीं छीना जाना चाहिए।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार चीन यह सब अपने फायदे के लिए कर रहा है। क्योंकि, उसे अपनी ताकत बढ़ाने के लिए एक और बेहतर जगह अफगानिस्तान के रूप में मिल गई है। उनके मुताबिक चीन की रणनीति अफगानिस्तान तीन मुद्दों पर काम करती है। पहला उसका रणनीतिक और व्यापारिक दृष्टि से फायदा, दूसरा भारत का नुकसान और तीसरा है अमेरिका और इन तीनों पर अफगानिस्तान खरा उतरता है।
तालिबान की मदद के लिए चीन-पाक बना रहे नया समूह
रूस के साथ पाकिस्तान और चीन तालिबान को मान्यता दिलाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा, वे अफगानिस्तान से सटे देशों का नया समूह बनाने की दिशा में भी बढ़ रहे हैं। इस समूह में चीन, पाक, ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।
अफगानिस्तान का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए न करे तालिबान: जयशंकर
वहीं भारत ने साफ कहा है कि तालिबान को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए किसी भी प्रकार से नहीं करने देने की अपनी प्रतिबद्धता लागू करनी चाहिए।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जी20 देशों से कहा कि दुनिया को एक ऐसी व्यापक एवं समावेशी प्रक्रिया की अपेक्षा है जिसमें अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो।
जयशंकर ने कहा कि अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2593 वैश्विक भावना को दर्शाता है और इसे हमारे दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करना जारी रखना चाहिए। भारत की भागीदारी अफगान लोगों के साथ उसकी ऐतिहासिक मित्रता से संचालित होगी।