दिल्ली में गर्मी में भले साल दर साल इजाफा हो रहा हो, मगर हीट एक्शन प्लान के नाम पर यहां सबकुछ जीरो है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की 2016 में जारी गाइडलाइंस भी कागजी दस्तावेज बनकर रह गई है। हालांकि, इंटीग्रेटिड रिसर्च एंड एक्शन फॉर डेवलपमेंट (इराडे) हीट एक्शन प्लान का ड्राफ्ट तैयार कर चुका है, लेकिन सरकार के पास इस पर काम करने का समय नहीं है। आलम यह है कि पिछले एक साल से तो स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ही इसको दबाए बैठे हैं। हार कर अब इराडे ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक पत्र लिखकर समय मांगा है।
दरअसल, तेजी से हो रहे भवन निर्माण और घटती हरियाली के कारण गर्मियों में अन्य शहरों की तरह दिल्ली का तापमान भी लगातार बढ़ रहा है। आइआइटी दिल्ली की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार जिन क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर कंक्रीट का जंगल देखने को मिलता है और जिन क्षेत्रों में अभी शहरीकरण का प्रभाव कम है, वहां के तापमान में खासा अंतर होता है। शहर के औसत तापमान से अलग इन क्षेत्रों में मौसम का अलग ही मिजाज देखा जाता है। मसलन, कनॉट प्लेस और बुद्धा जयंती पार्क कहने को एक ही शहर का हिस्सा हैं, लेकिन दोनों ही जगहों के तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर रहता है। यहां एक उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि लू के कारण ही 1992 से 2016 तक देश भर में 25,716 लोगों की मौत भी हो चुकी है।
एनडीएमए की गाइडलाइंस कहती है, शहरों के तापमान में यह अंतर क्यों है, इसे कैसे पाटा जाए, बढ़ते तापमान पर अंकुश कैसे लगे, अधिक तापमान से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव न पड़े इत्यादि मुद्दों को लेकर हर बड़े शहर का हीट एक्शन प्लान होना चाहिए। राजस्थान, अहमदाबाद, सूरत, नागपुर, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और चंद्रपुर में इस पर काम आरंभ भी हो चुका है, लेकिन दिल्ली में इस प्लान को लेकर सरकार और नगर निगमों के स्तर पर सभी बातें चर्चा तक ही रह जाती हैं। स्थिति यह है कि पिछली गर्मियों में इराडे ने हीट एक्शन प्लान पर दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से मुलाकात की। जैन ने इसे लेकर अपने एक ओएसडी को जिम्मेदारी सौंप दी, लेकिन इसके बाद आज तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला।
इसके बाद इराडे ने नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी), उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) एवं पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) से भी बात की, किन्तु नतीजा कुछ नहीं रहा। सभी जगह से जवाब मिला कि हीट एक्शन प्लान में जिन विभागों की सबसे अहम भूमिका होगी, वे दिल्ली सरकार के ही अधीन हैं। इसलिए उनकी सहभागिता के बगैर प्लान पर काम नहीं हो पाएगा। जानकारी के मुताबिक सरकार के स्तर पर सहमति और अनुमति मिलने के बाद भी हीट एक्शन प्लान को लागू करने में करीब दो साल लग जाएंगे। वजह, इसके तहत पहले इराडे दिल्ली के इलाकों की मैपिंग करेगा। इसके बाद सभी क्षेत्रों पर विस्तृत शोध किया जाएगा कि कहां की भौगोलिक स्थिति कैसी है, वहां का तापमान कम या ज्यादा क्यों है। वहां हरियाली और वन क्षेत्र की स्थिति कैसी है। इस शोध के बाद एक विस्तृत एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा कि क्या-क्या उपाय किए जाएं, जिससे यहां का तापमान बहुत ज्यादा ना जाए।
हीट एक्शन प्लान के ड्राफ्ट पर एक नजर
इस प्लान में गर्मी को तीन हिस्सों में बांटा गया है। 41.1 से 43 डिग्री सेल्सियस तापमान को यलो अलर्ट श्रेणी में रखा गया है। इसके लिए हॉट डे एडवाइजरी जारी होगी। 43.1 से 44.9 डिग्री सेल्सियस तापमान को ऑरेंज अलर्ट श्रेणी में रखा गया है। इसके लिए हीट अलर्ट डे की घोषणा होगी। 45 डिग्री से ऊपर तापमान होने पर रेड अलर्ट हो जाएगा एवं एक्सट्रीम हीट अलर्ट डे की घोषणा कर दी जाएगी। हर स्थिति से निपटने के लिए परिवहन, स्वास्थ्य, बिजली, जल बोर्ड, महिला एवं बाल विकास, लोक निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग, एनजीओ और मीडिया की एक चेन बनाकर उनकी भूमिका तय होगी। हर श्रेणी के अलग उपाय होंगे जोकि उस श्रेणी में अपने आप ही लागू हो जाएंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ता तापमान चिंता का विषय है। हीट एक्शन प्लान समय की जरूरत बन गया है, लेकिन यह बहुत ही दुखद है कि दिल्ली सरकार इसे लेकर कतई गंभीर नहीं हैं। अधिकांश सरकारी एजेंसियां आपस में आरोप-प्रत्यारोप में ही उलझी रहती हैं। हालांकि, हमने उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उनसे समय मांगा है। यदि वक्त मिला तो उनसे इस प्लान पर चर्चा कर आगे की रूपरेखा तय की जाएगी।