डॉलर के मुकाबले क्यों गिर रहा रुपया, क्या हैं इसके फायदे और नुकसान?

पिछले कुछ महीनों से डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। यह गुरुवार (6 फरवरी 2025) को 14 पैसे गिरकर 87.57 रुपये प्रति डॉलर के नए ऑल टाइम लो-लेवल पर पहुंच गया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रुपया कमजोर क्यों हो रहा है? अर्थव्यवस्था के लिहाज से इसके फायदे और नुकसान हैं और रुपया कब मजबूत होगा। आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं।

डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर क्यों हो रहा है?

रुपये के कमजोर होने की कई वजहें हैं। इनमें घरेलू और अंतरराष्ट्रीय, दोनों कारण शामिल हैं। आइए इनके बारे में जानते हैं:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने ग्लोबल टैरिफ वॉर की आशंका बढ़ा दी है। इसका असर रुपये पर भी दिख रहा है।
अमेरिका में ब्याज दर और बॉन्ड यील्ड काफी ऊंची है, इससे निवेशक अमेरिकी बाजार का रुख कर रहे हैं। इससे डॉलर मजबूत हो रहा है।
विदेशी निवेशक (FII) भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। यह डॉलर की मांग बढ़ा रहा है, जिससे रुपया कमजोर हो रहा है।
चीन जैसे देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है। इससे भी रुपये में कमजोरी आ रही है और डॉलर मजबूत हो रहा है।

रुपये के कमजोर होने के क्या नुकसान हैं?
तेल और पेट्रोलियम उत्पाद महंगे होंगे: भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक है। जब रुपया गिरता है, तो पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं। इससे ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स और महंगाई पर असर पड़ता है।
महंगाई (Inflation) बढ़ सकती है: रुपये की कमजोरी से आयातित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं, जिससे महंगाई बढ़ती है। इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल, और दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।

विदेशी कर्ज, पढ़ाई और यात्रा महंगी होगी: अगर कोई भारतीय कंपनी डॉलर में लोन लेती है, तो उसे ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ेगा। जो लोग अमेरिका, यूरोप या अन्य देशों में पढ़ाई कर रहे हैं, उनके खर्च बढ़ सकते हैं। विदेश यात्रा और होटल बुकिंग महंगी हो जाएगी।

रुपये के कमजोर होने के क्या फायदे हैं?
निर्यात (Exports) को बढ़ावा मिलेगा: जब रुपया गिरता है, तो भारत के निर्यात (Exports) सस्ते हो जाते हैं, जिससे विदेशी खरीददार ज्यादा सामान मंगाते हैं। इससे IT सेक्टर, फार्मा, और मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को फायदा हो सकता है।
विदेश से आने वाला पैसा (Remittance) बढ़ेगा: जो भारतीय विदेश में काम कर रहे हैं, उन्हें ज्यादा रुपये मिलेंगे। NRI (Non-Resident Indian) लोगों को इसका बड़ा फायदा होगा। इससे भारत में भेजने पर पैसों की वैल्यू बढ़ जाएगी।

पर्यटन (Tourism) को बढ़ावा मिलेगा: जब रुपया कमजोर होता है, तो विदेशी पर्यटक भारत में ज्यादा खर्च करते हैं, जिससे टूरिज्म सेक्टर को फायदा होता है। इलाज भी सस्ता हो जाएगा। इससे मेडिकल टूरिज्म को भी बढ़ावा मिल सकता है।

रुपया कब मजबूत होगा?
इस सवाल का जवाब काफी हद आरबीआई की नीतियों और वैश्विक बाजारों के हालात पर निर्भर करेगा। अभी टैरिफ वॉर की आशंका और वैश्विक अस्थिरता के चलते रुपये का मजबूत होना थोड़ा मुश्किल लग रहा है। हालांकि, आरबीआई और सरकार रुपये में स्थिरता लाने के लिए कुछ कदम उठा सकती है।

विदेशी निवेश बढ़ाने के उपाय करना।
निर्यात बढ़ाने की रणनीति अपना।
RBI का बाजार में हस्तक्षेप करना।
तेल आयात पर निर्भरता कम करना।
वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को अपनाना।

अगर भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और विदेशी निवेश बढ़ता है, तो रुपया अगले कुछ महीनों में धीरे-धीरे रिकवर कर सकता है।

क्या भारत को रुपये की गिरावट से डरना चाहिए?
रुपये में गिरावट चिंता की बात जरूर है, लेकिन इसे निर्यात बढ़ाने के अवसर भी खुल जाते हैं। यह भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात है। लेकिन, इससे घरेलू बाजार में महंगाई बढ़ने का खतरा भी रहता है। कुल मिलाकर, रुपये की गिरावट से कुछ क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है, लेकिन कुछ सेक्टरों को फायदा भी होगा। अभी निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है। उन्हें उन सेक्टरों में निवेश करना चाहिए, जो रुपये की गिरावट से फायदा उठा सकते हैं।

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