ट्रेन के गार्ड अब ‘ट्रेन मैनेजर’ कहलाएंगे। हालांकि, उनका काम और वेतनमान पहले जैसा ही रहेगा। अधिकारियों ने कहा कि रेल कर्मचारी संघों की लंबे समय से मांग थी कि ट्रेन के सुरक्षित परिचालन के प्रभारी गार्ड के पदनाम में बदलाव किया जाए। रेलवे बोर्ड ने एक आदेश में गार्ड को ‘ट्रेन मैनेजर’ के तौर पर नया नाम देने के निर्देश जारी किए हैं। असिस्टेंट गार्ड को ‘असिस्टेंट पैसेंजर ट्रेन मैनेजर’ और सीनियर पैसेंजर गार्ड को ‘सीनियर पैसेंजर ट्रेन मैनेजर’ नाम दिया गया है।
दूसरी तरफ इंडियन रेलवे की एक अन्य कंपनी रेलटेल 102 स्थानों विशेषकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में रेलवे परिसर में एज डेटा सेंटर स्थापित करने के लिए भागीदारों की तलाश कर रही है। ये कंपनियां संभावित बिजनेस एसोसिएट्स और पार्टनर भारत में पंजीकृत कंपनी होनी चाहिए। इस गतिविधि में लगभग 500 करोड़ से अधिक रुपये के निवेश के अवसर होंगे।
हरेक स्थान पर डेटा सेंटर की प्रारंभिक क्षमता लगभग 20 रैक (प्रत्येक 5 किलोवाट से 10 किलोवाट) की हो सकती है। हालांकि, अलग-अलग स्थानों पर, बिजली और अन्य कारकों की जरूरत और उपलब्धता के अनुसार परिवर्तनीय रैक और बिजली घनत्व वाले एज डेटा सेंटर का पता लगाया जा सकता है। रेलटेल के पास लगभग 9300 से अधिक प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस (पीओपी) और रेलवे ट्रैक के साथ और भारतीय रेलवे के परिसर में व्यापक ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी है, जो इस तरह के एज डेटा सेंटर की स्थापना के लिए बुनियादी ढांचे को आसानी से उपलब्ध कराती है। रेलटेल के पास चयनित व्यावसायिक सहयोगी को दूरसंचार व इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने की जिम्मेदारी होगी।
रेलटेल के सीएमडी पुनीत चावला ने कहा, ऐसे स्थानीय डेटा केंद्रों की मदद से, ग्रामीण क्षेत्रों को डिजिटल कौशल, वित्तीय समावेशन, डिजिटल साक्षरता आदि से सेवा प्रदान की जा सकती है। एज डेटा सेंटर रेलवे के बेहतर अनुभव को और सहायता प्रदान करेंगे। ये डिजिटल अर्थव्यवस्था में योगदान करेगा।