अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक साक्षात्कार में दावा किया कि अमेरिका ने ईरान के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले फोर्डो (Fordow) न्यूक्लियर फैसिलिटी को अपने बम हमले से पूरी तरह नष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी B-2 स्टील्थ फाइटर विमानों से गिराए गए बंकर-बस्टर बम इतने शक्तिशाली थे कि वे ईरान की पहाड़ी सुरंगों और सुरक्षा को ऐसे भेद गए जैसे ‘मक्खन में चाकू’।
ऑपरेशन ‘मिडनाइट हैमर’
डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि 22 जून को किए गए हमले को ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ नाम दिया गया था। इस ऑपरेशन में ईरान की तीन परमाणु साइट्स, फोर्डो, नतांज (Natanz) और इस्फहान (Isfahan) को निशाना बनाया गया। ट्रंप ने कहा कि इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को दशकों पीछे धकेल दिया है।
फोर्डो को ईरान की सबसे गोपनीय और सुरक्षित परमाणु साइट माना जाता है, जिसे एक पहाड़ के अंदर बनाया गया था ताकि इसे हवाई हमलों से बचाया जा सके। लेकिन ट्रंप के मुताबिक, अमेरिकी बम इस सुरंग को भी चीरते हुए अंदर तक पहुंच गए और पूरा ढांचा “हजारों टन चट्टानों में तब्दील” हो गया।
ईरान को मिली थी चेतावनी
ट्रंप ने कहा कि ईरान को पहले ही चेतावनी दी गई थी कि अगर वह यूरेनियम संवर्धन नहीं रोकेगा, तो हमला किया जाएगा। जब ईरान नहीं माना, तब अमेरिका ने यह कार्रवाई की। उन्होंने कहा, “हमने बहुत कम समय में हमला किया, ताकि उन्हें भनक न लगे।” हमले में GBU-57 बंकर बस्टर बम और टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया।इस कार्रवाई के समय ईरान और इज़रायल के बीच लगातार हमले हो रहे थे। 13 जून से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा हुआ था, और अमेरिका ने इसमें सीधा दखल देकर ईरान के खिलाफ बड़ी सैन्य कार्रवाई की।
UN प्रमुख ने दी अलग राय
हालांकि, ट्रंप का दावा था कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म हो गया है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने कहा कि ईरान कुछ ही महीनों में फिर से संवर्धन प्रक्रिया शुरू कर सकता है। इसका मतलब है कि ईरान को परमाणु तकनीक हासिल करने से स्थायी रूप से नहीं रोका गया है।
ट्रंप ने यह भी कहा कि ईरान ने बमबारी से पहले अपनी यूरेनियम भंडार को नहीं हटाया, जबकि कुछ इजरायली अधिकारियों ने दावा किया था कि ईरान ने बम गिरने से पहले जरूरी चीजें वहां से हटा ली थीं।