अमेरिका की आक्रामक टैरिफ और व्यापार नीतियों ने उसके अपने किसानों को इतनी गहरी मार दी है कि वाशिंगटन को किसानों की भरपाई के लिए 12 अरब डॉलर (करीब 90,000 करोड़ रुपए) का विशेष राहत पैकेज देना पड़ा। अमेरिका में किसानों को इतने बड़े राहत पैकेज की नौबत पहली बार पड़ी है।
अमेरिकी कृषि मंत्रालय यानी यूएसडीए व कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की अधिकृत रिपोर्टों के अनुसार टैरिफ युद्ध के कारण कई बड़े देशों, खासकर चीन ने अमेरिकी अनाज और अन्य कृषि उत्पादों की खरीद बहुत कम कर दी या अस्थायी रूप से रोक दी। इससे अमेरिकी किसानों की आमदनी और निर्यात दोनों पर सीधा और गंभीर असर पड़ा।
यूएसडीए और अमेरिकी ट्रेड प्रतिनिधि कार्यालय के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार टैरिफ विवाद की शुरुआत तब तेज हुई जब अमेरिका ने इस्पात, एल्यूमीनियम और चीन से आने वाले सैकड़ों अरब डॉलर के उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिए। इसके जवाब में चीन ने सोयाबीन, मक्का, सूअर मांस और कपास सहित कई अमेरिकी कृषि उत्पादों पर प्रतिशोधी शुल्क बढ़ा दिए और कई श्रेणियों में आयात घटा दिया। इससे टैरिफ युद्ध की सीधी मार उन किसानों पर पड़ी, जहां मक्का व सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर होती है।
अरबों डॉलर का राहत पैकेज है मार्केट फैसिलिटेशन प्रोग्राम
अमेरिकी कृषि मंत्रालय ने किसानों के लिए जो कदम उठाया, वह था मार्केट फैसिलिटेशन प्रोग्राम यानी एमएफपी। इसके तहत सरकार ने लगभग 90,000 करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया। इसका उद्देश्य टैरिफ से पैदा नुकसान की आंशिक भरपाई करना था। कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस के अनुसार, पैकेज की संरचना तीन हिस्सों में थी। पहला हिस्सा किसानों को सीधे नकद भुगतान के रूप में दिया गया। दूसरे में बाजार में बचा कृषि उत्पाद सरकार ने खरीदा व तीसरे हिस्से का उपयोग व्यापार प्रोत्साहन के लिए किया गया।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal