अधूरी योजना और जमीनी अड़चनों के कारण अटकी निर्माण परियोजनाओं को देखते हुए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने अपनी कार्यप्रणाली में अहम बदलाव किए हैं। अब किसी भी परियोजना के लिए टेंडर जारी करने से पहले स्थल की वास्तविक स्थिति, उपलब्ध जगह और यातायात दबाव का आकलन अनिवार्य कर दिया गया है। विभाग का मानना है कि इस बदलाव से परियोजनाएं जल्द पूरी होंगी और उनकी गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
पीडब्ल्यूडी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, अब तक कई परियोजनाएं केवल कागजी स्वीकृति के आधार पर आगे बढ़ा दी जाती थीं, लेकिन बाद में जमीन की कमी, ट्रैफिक अनुमति और स्थानीय हालात के कारण काम अटक जाता था। सेंट्रल विजिलेंस कमीशन के दिशा-निर्देश के आधार पर निर्देश जारी किए गए हैं। अब टेंडर से पहले स्पष्ट करना होगा कि प्रस्तावित स्थल पर निर्माण के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध है या नहीं और वहां यातायात प्रबंधन कैसे किया जाएगा। इन बिंदुओं को परियोजना की अनिवार्य शर्त के रूप में शामिल किया गया है। आयोग ने निर्माण कार्यों की निगरानी मजबूत करने और नियमों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए हर परियोजना स्थल पर क्वालिटी कंट्रोल लैब स्थापित करना अनिवार्य होगा। अब हर ठेकेदार को नया प्रोजेक्ट शुरू करते समय साइट पर लैबोरेटरी स्थापित करनी होगी, जहां निर्माण सामग्री के सैंपल लेकर उनकी नियमित जांच की जाएगी। पीडब्ल्यूडी के आदेश में कहा गया है कि टेंडर नोटिस में जिन न्यूनतम उपकरणों का उल्लेख होगा, उन्हीं के साथ साइट लैब स्थापित की जाएगी।
परियोजना शुरू होने से पहले बाधाओं की होगी पहचान
पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के मुताबिक, नए निर्देशों का उद्देश्य ठेकेदारों पर अतिरिक्त बोझ डालना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि परियोजना शुरू होने से पहले ही संभावित बाधाओं की पहचान कर ली जाए। विभाग को उम्मीद है कि इस नई प्रक्रिया से भविष्य की सड़क और फ्लाईओवर परियोजनाएं अधिक सुचारु, समयबद्ध और बेहतर गुणवत्ता के साथ पूरी की जा सकेंगी।
पुराने प्रोजेक्ट से मिले सबक
पंजाबी बाग फ्लाईओवर : भारी ट्रैफिक दबाव और सीमित कार्यस्थल के कारण निर्माण के दौरान कई बार काम रोकना पड़ा। सामग्री रखने और मशीनरी संचालन के लिए पर्याप्त जगह न होने से परियोजना की गति प्रभावित हुई।
आश्रम फ्लाईओवर एक्सटेंशन : अत्याधिक व्यस्त चौराहे पर ट्रैफिक अनुमति और डायवर्जन सबसे बड़ी चुनौती बने। स्थानीय हालात को लेकर बार-बार बदलाव करने पड़े, जिससे तय समयसीमा आगे खिसकती चली गई।
भजनपुरा–यमुना विहार फ्लाईओवर : घनी आबादी वाले क्षेत्र में सीमित जमीन और यातायात प्रबंधन से जुड़ी समस्याओं के चलते निर्माण प्रभावित हुआ।
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