कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 16वें दिन जारी है. इस बीच टिकरी बॉर्डर पर राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार शरजील इमाम, उमर खालिद समेत कई आरोपियों के पोस्टर और उनकी रिहाई की मांग की तस्वीर वायरल हो रही है. कुछ किसान नेताओं का कहना है कि इन्हें रिहा किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार ने किसानों के इस मांग पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.

गिरफ्तार बुद्धिजीवियों आदि की रिहाई की मांग पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आंदोलन को टेकओवर करने का ये एक भयावह डिजाइन है. इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि टुकड़े-टुकड़े गैंग एजेंडे को टेकओवर करने की कोशिश कर रहे हैं.
कानून मंत्री ने आगे कहा कि वे लोग न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं. उनकी जमानत खारिज की जा रही है क्योंकि उन पर गंभीर आरोप हैं. उन्होंने यह भी कहा कि किसान संगठनों के विरोध का फायदा उठाने के लिए उनकी तस्वीरें प्रदर्शित की जा रही हैं. शायद ऐसे तत्वों की उपस्थिति के कारण ही सरकार के साथ बातचीत सफल नहीं हो रही है.
मीडिया से चर्चा के दौरान रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा कि सरकार खुले दिमाग के साथ बातचीत को तैयार है जबकि उधर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही, ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गई. सरकार किसान संगठनों से अपील करती है कि वे अपने आदोलन को हाइजैक न होने दें. ये तत्व भारत की संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं. ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी लेकिन किसानों के विरोध की पवित्रता बरकरार रहनी चाहिए.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए हमले पर बात करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, “क्या ममता बनर्जी इतनी हताश हो गई हैं? बीजेपी अध्यक्ष को सुरक्षा एस्कॉर्ट नहीं दिया गया था. ममता ने सत्ता में आने के लिए वामपंथ की हिंसा का सामना किया था. यदि वह हिंसा को बढ़ावा देती हैं तो टीएमसी को लोगों के कठोर फैसले झेलने होंगे.
ममता सरकार पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “क्या वहां कानून-व्यवस्था भंग हो गई है. चूंकि मैं कानून मंत्री हूं तो मैं संवैधानिक टूट या राष्ट्रपति शासन पर टिप्पणी नहीं करूंगा. लेकिन यह एक पक्षपाती प्रशासन है, इसी वजह से जेड प्लस सुरक्षा वाले व्यक्ति को कोई सुरक्षा नहीं दी गई. भारतीय राजनीति कभी इतनी नीचे नहीं गिरी.”
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