मुरली विजय ने कहा कि जब से वो टीम से बाहर हुए हैं तब से उनसे न तो किसी चयनकर्ता ने बात की है और न ही टीम मैनेजमेंट में से किसी ने उनसे संपर्क साधा। मुरली विजय से पहले करुण नायर ने भी कहा था कि उनसे इंग्लैंड में न तो किसी चयनकर्ता ने बात की है और न ही टीम मैनेजमेंट में से किसी ने उन्हें टीम से बाहर करने की वजह बताई। इसके बाद हरभजन सिंह ने भी सेलेक्शन कमेटी को लेकर कई सवाल खड़े किए थे। 
विजय को पहले इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए चौथे और पांचवें टेस्ट की टीम से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद वेस्टइंडीज़ के खिलाफ खेली जा रही टेस्ट सीरीज़ के लिए भी मुरली विजय का चयन नहीं किया गया।
विजय ने कहा कि ये एक अहम बात है कि खिलाड़ी को मालूम होना चाहिए कि उसे किस कारण से टीम से बाहर किया गया है। अगर उसे इसकी वजह मालूम होगी तो उसे ये भी पता चल जाएगा कि वो सेलेक्टर्स और टीम मैनेजमेंट की योजनाओं में कहां खड़ा हुआ है। इसके साथ ही खिलाड़ी को ये पता चल सके कि उसने गलती कहां की और टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ताओं की उस खिलाड़ी को लेकर क्या योजना है।
मुरली ने कहा कि एक खिलाड़ी के तौर पर आपको 1 या 2 से ज्यादा मैचों की जरुरत होती है ताकि आप उस हिसाब से अपनी रणनीति बना सकें। हर खिलाड़ी को अच्छा प्रदर्शन करना होता है और टीम की जीत में योगदान देना होता है लेकिन उसके लिए उसे पूरे मौके भी मिलने चाहिए। मुरली विजय ने कहा कि वो अपने हिसाब से ऑस्ट्रेलिया दौरे की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि पिछली बार जब टीम ने वहां का दौरा किया था तो उन्होंने काफी रन बनाए थे।
विजय ने इंग्लैंड में पहले दो टेस्ट मैच खेले थे। पहले दो मैच में उन्होंने 20, 6, 0, 0 की पारियां खेली थी। तीसरे टेस्ट मैच के लिए उन्हें नहीं चुना गया और फिर इसके बाद चौथे और पांचवें टेस्ट मैच की टीम से ही उन्हें बाहर कर दिया गया था। विजय ने इसके बाद एसेक्स के लिए काउंटी क्रिकेट खेला और फिर वहां पर उन्होंने लगातार बेहतरीन पारियां खेली। विजय ने काउंटी में पांच मैचों में तीन अर्धशतक और एक शतक भी जड़ा। उन्होंने एसेक्स के लिए 56, 100, 85, 80 और 02 रन की पारियां खेली। लेकिन इसके बाद भी उन्हें वेस्टइंडीज़ के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ के लिए नहीं चुना गया।
विजय ने हरभजन के बयान पर कहा कि ये सही बात है कि एक खिलाड़ी को मालूम होना चाहिए कि उसे टीम से क्यों बाहर किया गया है। आपको बता दे कि हरभजन ने ने कहा थी कि वह नायर के दर्द को समझ सकते हैं जो टेस्ट क्रिकेट में वीरेन्द्र सहवाग के बाद तिहरा शतक लगाने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अलग-अलग खिलाड़ियों के चयन के लिए अलग-अलग पैमाना अपनाया जा रहा है। कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें सफल होने के लिए कई मौके दिये जाते हैं जबकि दूसरों को असफल होने के लिए भी मौका नहीं मिल रहा है। यह सही नहीं है।
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