गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने भाजपा पर गोरखा लोगों के साथ विश्वासघात का आरोप लगाते हुए केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए से नाता तोड़ लिया है। तेलुगु देशम पार्टी के बाद वह ऐसा करने वाली दूसरी पार्टी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता एलएम लामा ने शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के साथ अब मोर्चा का कोई संबंध नहीं है। पार्टी ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में दार्जिलिंग संसदीय सीट पर भाजपा उम्मीदवार जसवंत सिंह का समर्थन किया था। उनके कामकाज से संतुष्ट नहीं होने के बावजूद वर्ष 2014 में मोर्चा ने भाजपा उम्मीदवार एसएस आहलुवालिया का समर्थन किया था। लेकिन अब मोर्चा के नए अध्यक्ष विनय तामंग ने एनडीए से नाता तोड़ने का फैसला किया है।
सूत्रों ने बताया कि मोर्चा नेतृत्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के हालिया बयान से नाराज था। घोष ने कहा था कि भाजपा और गोरखा मोर्चा के बीच महज चुनावी गठजोड़ था। लामा ने कहा कि घोष के बयान ने भाजपा के तमाम दावों की कलई खोल दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि गोरखा तबके का सपना उनका भी सपना है। उन्होंने कहा कि घोष के बयान से साफ है कि गोरखा तबके के लोगों के साथ उनकी कोई सहानुभूति नहीं है।
गोरखा नेता ने कहा कि वर्ष 2009 व 2014 के चुनावों में मोर्चा की वजह से ही दार्जिलिंग संसदीय सीट भाजपा के खाते में गई थी। यह सीट भाजपा के लिए बंगाल का राजनीतिक प्रवेशद्वार थी और मोर्चा के चलते ही यह संभव हुआ था। लेकिन भाजपा ने बार-बार पर्वतीय इलाके के लोगों को धोखा दिया है।