टाटा समूह में अधिकारों और वर्चस्व की लड़ाई और बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि टाटा ट्रस्ट्स के पूर्व ट्रस्टी मेहली मिस्त्री, जिनका कार्यकाल पिछले सप्ताह रिन्यू नहीं किया गया, अब उन्होंने कथित तौर पर टाटा ट्रस्ट्स से निकाले जाने से पहले अपना पक्ष सुने जाने के अधिकार के लिए महाराष्ट्र चैरिटी कमिश्नर के समक्ष एक कैविएट दायर किया है। नियमों के अनुसार, टाटा ट्रस्ट को आयुक्त द्वारा अनुमोदित बोर्ड परिवर्तनों को 90 दिनों के भीतर लागू करना होगा।
रतन टाटा के लंबे समय से सहयोगी रहे मेहली मिस्त्री ने इस कैविएट में सर रतन टाटा ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और बाई हीराबाई जमशेदजी नवसारी चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन से खुद को हटाए जाने को चुनौती दी है। टीओआई ने इस मामले से वाकिफ एक अधिकारी के हवाले से यह खबर दी है।
कैविएट में क्या मांग
इस कैविएट में मेहली मिस्त्री ने यह सुनिश्चित करने की मांग की है कि चैरिटी कमिश्नर द्वारा ट्रस्टी बोर्ड में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने से पहले मिस्त्री को सूचित किया जाए और उनकी बात सुनी जाए। दरअसल, टाटा ट्रस्ट्स बोर्ड ने अक्टूबर में मिस्त्री के आजीवन ट्रस्टीशिप के नवीनीकरण को अस्वीकार कर दिया था, जिसमें पदाधिकारी वेणु श्रीनिवासन, नोएल टाटा और विजय सिंह ने उनके जारी रहने का विरोध किया था।
रिपोर्ट के अनुसार, नोएल टाटा इस परोपकारी ट्रस्ट का नेतृत्व करते हैं, जबकि विजय सिंह और वेणु श्रीनिवासन इसके उपाध्यक्ष हैं। मिस्त्री को हटाने की चुनौती अक्टूबर 2024 के एक प्रस्ताव पर आधारित है, जो कथित तौर पर मौजूदा ट्रस्टियों को नवीनीकरण पर आजीवन कार्यकाल की अनुमति देता है।
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