बीते सोमवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का बचाव करने की कोशिश की तो अब एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने भी उनका बचाव किया है। दरअसल, मलिक ने अनिल देशमुख के कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद उनके क्वारंटीन पीरियड के दौरान पुलिस अफसरों से मिलने और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के भाजपा के दावे को खारिज कर दिया।
एक समाचार चैनल से बात करते हुए अल्पसंख्यक विकास व कौशल विकास और महाराष्ट्र के उद्यमिता मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि अनिल देशमुख महाराष्ट्र के गृह मंत्री के पद से इस्तीफा नहीं देंगे और भाजपा के पास ऐसी मांग करने के लिए कोई नैतिक आधार नहीं है।
एनसीपी नेता ने कहा, ‘एक आईपीएस अधिकारी ने गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री और मुख्यमंत्री पर कुछ गंभीर आरोप लगाए थे। क्या उन्होंने उस समय इस्तीफा दे दिया था? भाजपा के पास इस तरह की बातें कहने का कोई नैतिक आधार नहीं है। भाजपा को पहले अपना अतीत देखना चाहिए. झूठे आरोपों पर कोई भी इस्तीफा नहीं देता है।’
एनसीपी नेता ने देशमुख का बचाव करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण से मुक्त होने के बाद क्वारंटीन पीरियड में अनिल देशमुख किसी भी अफसर से नहीं मिले थे। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद वह चार्टर्ड प्लेन से मुंबई आए थे और खुद को होम क्वारंटीन कर लिया था। उनका क्वारंटीन पीरियड 27 फरवरी तक था। वह 27 फरवरी तक किसी से नहीं मिले।
मलिक ने कहा, ‘देवेंद्र फडणवीस और मुनगंटीवार दावा कर रहे हैं कि अनिल देशमुख ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी, यह बात पूरी तरह झूठ है। जब देशमुख को 15 फरवरी को अस्पताल से छुट्टी मिली थी, उस समय अस्पताल के बाहर कुछ पत्रकार थे। पत्रकार अनिल देशमुख से बात करना चाहते थे जबकि वह कमजोरी महसूस कर रहे थे। इसलिए देशमुख ने एक कुर्सी ली और बैठ गए और फिर पत्रकारों ने उनसे कुछ सवाल पूछे थे।’
उन्होंने आगे कहा, ‘जब से परमबीर सिंह का तबादला हुआ है, तब से वह अलग-अलग तरह की बातें कर रहे हैं और वह ऐसा क्यों कर रहे हैं, यह हम सभी जानते हैं। वह दिल्ली गए थे। वह वहां किससे मिले थे, उन्हें क्या कहा गया था, हम इसके बारे में सब कुछ जानते और हम आपको सही समय पर यह सब बताएंगे। हर चीज का एक समय होता है और सही समय पर, सब कुछ बताया जाएगा।’
वहीं, परमबीर सिंह ने अपने तबादले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस पर नवाब मलिक ने कहा, ‘एक अधिकारी का तबादला मुख्यमंत्री और गृह मंत्री का प्रशासनिक निर्णय है। हम समझते हैं कि सभी को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने और न्याय पाने का अधिकार है। हम देखते हैं कि उन्हें वहां क्या न्याय मिलता है।’
एंटीलिया केस और मुनसुख हिरेन की मौत मामले के बारे में बात करते हुए नवाब मलिक ने कहा कि इन गंभीर मामलों की जांच दो एजेंसियां, एनआईए और एटीएस कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘यह एक बहुत गंभीर अपराध है। कुछ लोगों ने धोखाधड़ी (बम से डराने) की है। इसे छिपाने के लिए एक शख्स को मार दिया गया। हम देखेंगे कि कौन इसमें शामिल हैं। यह सभी आरोप केवल इस महत्वपूर्ण धोखाधड़ी मामले से ध्यान भटकाने के लिए हैं। महत्वपूर्ण सवाल यह है कि यह धोखाधड़ी किसके आदेश पर की गई। क्यों किया गया था? इस मामले को छिपाने के लिए मनसुख हिरेन की हत्या क्यों की गई? इस सबके पीछे कौन है? यह इस मामले का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। एनआईए और एटीएस की जांच जारी है। यदि मुंबई पुलिस ने कुछ गलतियां की हैं और उसके लिए यदि कुछ तबादले किए गए हैं यह एक प्रशासनिक निर्णय है। इन जांचों में सब कुछ सामने आ जाएगा।’
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