वाशिंगटन: अमेरिका ने अफगानिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के कदम बढ़ाया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगान से अमेरिकी सैनिकों की 11 सितंबर तक वापस बुलाने का एलान कर दिया है। जिसके अतिरिक्त नाटो ने भी अपने सैन्य बल को वापस बुलाने का निर्णय लिया है। कहा जा रहा है अमेरिका अफगान के मध्य शांति स्थापित करने में पड़ोसी देश पाक की अहम् भूमिका है। अगर ये सूचना सच है तो यकीकन इन दिनों पाक देश के सितारे बुलंदी पर है। इस केस पर अमेरिकी सीनेटर ने बताया कि भारत का ये पड़ोसी देश अपने दोनों हाथों से लड्डू खाता रहा है।
सीनियर अमेरिकी सांसद जैक रीड ने बोला कि पाक दोनों तरफ से खेल खेलता रहा है। पाक हमेशा पनाहगाह मुहैया कराता रहा है। यही कारण है कि अफगान में तालिबान जड़ें मजबूत होती गई। सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी के चेयरमैन जैक रीड ने गुरुवार को अमेरिकी संसद में बोला कि तालिबान के कामयाब होने में बहुत बड़ा योगदान इस तथ्य का है कि तालिबान को पाक में मिल रही सुरक्षित पनाहगाह को समाप्त करने में अमेरिका नाकाम रहा है। कहा जाता है कि पाक सेना अपने देश में अन्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए तालिबान का उपयोग करती रही है। यही वजह से कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी से ये आशंका जताई जा रही है कि तालिबान फिर सिर उठाएगा जिसका प्रभाव कश्मीर तक दिख सकता है।
उन्होंने अमेरिकी संसद में बोला कि तालिबान के सफल होने में बहुत बड़ा योगदान इस तथ्य का है कि तालिबान को पाक में मिल रही सुरक्षित पनाहगाह को समाप्त करने में अमेरिका विफल रहा है। हाल के एक अध्ययन का हवाला देते हुए रीड ने कहा कि पाक में सुरक्षित अड्डा होने इंटर सर्विसेस इंटेलिजेंस (आईएसआई) जैसे संगठनों के जरिए वहां की गवर्नमेंट का समर्थन मिलने से तालिबान मजबूत होगा गया। जैक रीड ने कहा कि हम पाक में मौजूद तालिबान के सुरक्षित पनाहगाहों को नष्ट नहीं कर पाए, यही विफलता इस जंग में हमारी सबसे बड़ी गलती साबित हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि जैसा कि अफगान स्टडी समूह (कांग्रेस के निर्देश के तहत कार्यरत) ने कहा कि आतंकवाद के लिए ये पनाहगाह जरूरी हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की आईएसआई ने अवसरों का फायदा उठाने के लिए अमेरिका के साथ सहयोग करते हुए तालिबान की मदद की।