बेंगलुरु, भारत में जून महीने में सेवा क्षेत्र (Services Sector) की गतिविधियों में जबरदस्त संकुचन देखने को मिला। कोरोनावायरस के बढ़ते मामले को काबू में करने के लिए लागू की गई कड़ी पाबंदियों से मांग में कमी आई और नौकरियों में छंटनी में तेजी देखने को मिली। एक निजी सर्वेक्षण में सोमवार को ऐसा कहा गया है। उल्लेखनीय है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी में कोविड-19 की वजह से चार लाख लोगों को जान पहले ही जा चुकी है। देश में अब भी कोरोनावायरस के प्रतिदिन 40,000 से ज्यादा मामले आ रहे हैं। इस तरह इस वायरस से संक्रमित होने वालों की तादाद 30.5 मिलियन को पार कर गई है।
IHS Markit का सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जून में गिरकर 41.2 पर आ गया। इससे पहले मई, 2021 में सर्विसेज सेक्टर का PMI 46.4 पर रहा था। यह जुलाई, 2020 के बाद का सबसे निचला स्तर है। PMI पर 50 से अधिक का नंबर वृद्धि जबकि उससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है।
IHS Markit में एसोसिएट डायरेक्टर (इकोनॉमिक्स) Pollyanna De Lima ने कहा, ”भारत में कोविड-19 की वर्तमान स्थिति को देखकर यह कहा जा सकता है कि सर्विसेज सेक्टर प्रभावित होगा।”
उन्होंने कहा, ”जून का पीएमआई डेटा नए बिजनेस, आउटपुट और रोजगार में जबरदस्त गिरावट को दिखाता है लेकिन इस बार पहले के लॉकडाउन की तुलना में कम संकुचन देखने को मिला।”
मांग में नरमी से नए बिजनेस का सब-इंडेक्स जुलाई, 2020 के बाद के सबसे निचले स्तर पर आ गया।
इसके परिणामस्वरूप कंपनियों ने लगातार सातवें महीने छंटनी की। जून में नौकरियों से छंटनी की रफ्तार सबसे ज्यादा रही।
इससे पहले गुरुवार को जारी मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की PMI में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में एक साल में पहली बार जून में संकुचन देखने को मिली।
कच्चे माल की ऊंची कीमतों और ढुलाई के खर्चे की वजह से लागत मूल्य में एक बार फिर बढ़ोत्तरी देखने को मिली। इससे संकेत मिलते हैं कि मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के 2-6 फीसद के लक्ष्य से ऊपर रह सकता है।