चाणक्य ने व्यक्ति के गुणों के बारे में बताते हुए कहा है कि जिस व्यक्ति के पास ये गुण होते हैं उसके लिए हर चीज आसान हो जाती है. चाणक्य ने अपने विचारों को चाणक्य नीति में बड़े ही विस्तार और प्रभावशाली ढंग से बताया है.
सैकड़ों वर्ष बाद भी चाणक्य की नीतियों की उपयोगिता बरकरार है. इसकी मुख्य वजह यही है कि चाणक्य नीति आज भी प्रासंगिक बनी हुई है. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति-
को हि भार: समर्थनां कि दूरं व्यवसायिनाम्।
को विदेश: सविद्यानां क: पर: प्रियवादिनाम्।
आचार्य चाणक्य के इस श्लोक का बहुत गहरा मतलब है. आचार्य चाणक्य के अनुसार शक्तिशाली व्यक्ति के लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं है. व्यापारी के लिए कोई भी स्थान दूर नहीं होता है. विद्वान के लिए कोई भी स्थान दूर नहीं होता है उसके लिए विदेश भी दूर नहीं होता है. मधुर वाणी बोलने वालों के लिए कोई भी पराया नहीं है, वह सभी को अपना बना लेता है.
आचार्या चाणक्य की इस नीति से जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है. चाणक्य के अनुसार जो शक्तिशाली है उसे कभी किसी कार्य के लिए सोचाना नहीं चाहिए उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं होता है.
इसी तरह से व्यापारी को व्यापार करने के लिए किसी भी स्थान पर जाने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए. जो ऐसा नहीं कर पाते हैं वे व्यापार में हानि उठाते है. विद्वान के लिए चाणक्य का कथन है कि विद्वान को विद्या यानि ज्ञान को हासिल करने के लिए विदेश भी जाना पड़े तो जाना चाहिए.
वहीं मधुर भाषा बोलकर शत्रु को भी मित्र बनाया जा सकता है. ऐसे लोग हर किसी को अपना बनाने की क्षमता रखते हैं. जिसकी वाणी मधुर होती है वह सभी का प्रिय होता है इसलिए वाणी हमेशा मधुर होनी चाहिए.