अभी सावन का माह चल रहा है। ये पूरा माह शिव जी एवं माता पार्वती की आराधना के लिए बहुत उत्तम माना जाता है। शिव जी की आराधना में शिवलिंग पूजन को बेहद महत्व दिया गया है। शास्त्रों में शिवलिंग को बेहद शक्तिशाली बताया गया है तथा ये महादेव का निराकार स्वरूप है। सामान्य रूप से सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं की साकार तौर पर उपासना होती है, जिनके हाथ, पैर, चेहरा आदि होता है, मगर एकमात्र महादेव ऐसे देव हैं जो साकार और निराकार दोनों रूपों में पूजे जाते हैं। वही कुछ व्यक्ति शिवलिंग की पूजा मंदिर में जाकर करते हैं, वहीं कुछ लोग घर पर ही शिवलिंग रखते हैं। मगर क्या आप जानते हैं कि घर में शिवलिंग रखने के कुछ नियम हैं? इन नियमों का पालन करने पर ही आपकी उपासना फलित होती है। इस श्रावण महीने में अगर आप भी शिव जी का पूजन कर उन्हें खुश करना चाहते हैं तो इन नियमों के बारे में अवश्य जान लें।
4 या 5 इंच का आकार पर्याप्त:-
घर में अधिक बड़ा शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। घर पर शिवलिंग के लिए 4 अथवा 5 इंच का आकार पर्याप्त माना जाता है। इससे बड़े आकार की शिवलिंग रखने के लिए उसकी प्राण प्रतिष्ठा कराना आवश्यक होता है।
पारद शिवलिंग होती श्रेष्ठ:-
घर में पार्थिव शिवलिंग, धातु अथवा स्फटिक तथा पारद शिवलिंग रख सकते हैं। मगर इनमें से श्रेष्ठ पारद शिवलिंग मानी जाती है। प्रथा है कि ये शिवलिंग शिव जी को अति प्रिय है। अगर पारद शिवलिंग की प्रतिदिन विधिवत पूजा की जाए तो घर के रोग ख़त्म होते हैं तथा परिवार पर आए संकट टल जाते हैं।
सुबह के वक़्त पूजा करना खास फलदायी:-
शिव पुराण के मुताबिक, जो व्यक्ति शिवलिंग की पूजा करके शिव जी को खुश करना चाहते हैं, उन्हें सुबह के वक़्त तथा दोपहर से पहले पूजा कर लेनी चाहिए। तभी ये पूजा खास तौर पर फलदायी होती है। इसके अतिरिक्त याद रखें कि घर में जिस स्थान पर शिवलिंग हों, उनके पास पूरा शिव परिवार माता गौरी, गणपति तथा कार्तिकेय जी को भी बैठाएं। इससे शिवलिंग की उपासना का महत्व कहीं अधिक बढ़ जाता है।