जब बच्चे जवानी की दहलीज़ पर कदम रखते हैं, तो वे कई बदलाव से गुज़रते हैं। जवान लड़कियों की ज़िंदगी में एक बड़ा बदलाव तब आता है जब उसका पहला मासिक-धर्म शुरू होता है।
10 से 15 वर्ष की आयु की लड़की का अण्डकोष हर महीने एक विकसित अण्डा उत्पन्न करना शुरू कर देते हैं। वह अण्डा फलैपियन ट्यूब के द्वारा नीचे जाता है। फलैपियन ट्यूब अण्डकोष को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भ में पहुंचता है तो उसका स्तर खून और तरल पदार्थ से मिलकर गाढ़ा हो जाता है। इससे अण्डे का विकास होता है, जिससे शिशु जन्म के लिए वह उर्वर हो जाता है।
यदि उस अण्डे का पुरूष के वीर्य से संपर्क हो जाए तो गर्भ ठहर जाता है और वीर्य से संपर्क न होने पर वह स्राव के रूप में योनि से बाहर निकल जाता है। माहवारी चक्र सामान्यत: 28 से 32 दिनों में एक बार होता है और यह तीन से पांच दिनों तक चलता है। शुरू में पीरियड होने पर यह सात दिनों तक भी चलता है।