देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने रुपये के कमजोर होने का अनुमान लगाया है। इनके अनुसार, अगर मौजूदा यूक्रेन युद्ध जारी रहता है, तो एक डॉलर के मुकाबले रुपया जून तक 77.5 के नए निचले स्तर पर आ जाएगा और दिसंबर के अंत तक मामूली रूप से सुधरकर के साथ 77 हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कच्चा तेल 130 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार करता है, तो चालू खाता घाटा (CAD) 3.5 फीसदी हो जाएगा, जो विकास दर को घटाकर 7.1 फीसदी कर देगा।
अगर वित्त वर्ष 2023 की औसत तेल कीमत 100 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ जाती है, तो यह पहले के अनुमानित 8 प्रतिशत से विकास को लगभग 7.6 प्रतिशत तक कम कर देगी, मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत से बढ़कर 5 प्रतिशत हो जाएगी, और चालू खाता घाटा बढ़कर 86.6 बिलियन अमरीकी डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत हो जाएगा और अगर तेल की कीमत औसतन 130 अरब अमेरिकी डॉलर है तो यह 3.5 फीसदी तक बढ़ सकती है।
भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि ‘मुद्रास्फीति 5.7 प्रतिशत पर और सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत पर आ जाएगी।’ रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण और मॉस्को के खिलाफ व्यापक आर्थिक प्रतिबंधों के बाद से रुपया सबसे अधिक प्रभावित उभरती बाजार मुद्रा है। आक्रमण के बाद से कच्चे तेल में उबाल देखा गया है। पिछले सप्ताह 93 अमरीकी डॉलर से बढ़कर 130 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था। हालांकि, अभी कम हुआ है।
रूस वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति का 14 प्रतिशत और दुनिया की प्राकृतिक गैस की 17 प्रतिशत आपूर्ति करता है। घोष ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव कम होने तक रुपये के लिए निकट अवधि का दृष्टिकोण चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। अनिश्चितता अधिक होने के कारण, यह पोर्टफोलियो अंतर्वाह को और कम कर सकता है, जो कि 2022 में अब तक 12 बिलियन अमरीकी डालर के बहिर्वाह के साथ रिवर्स गियर में रहा है।