रिसर्च का उद्देश्य ये पता लगाना था कि अच्छी नियुक्तियां करने के मामले में मैनेजर कितने सफल साबित होते हैं? साथ ही कर्मचारी भी अपनी नियुक्ति पर कितने खरे उतर पाते हैं? नतीजे में चौंकाने वाली बात ये भी रही कि सिर्फ 11% कर्मचारी ही ऐसे थे, जो योग्यता की कमी की वजह से नई नौकरी में फ्लॉप साबित होते हैं। दुनियाभर के 19% कर्मचारी ही नई नौकरी जॉइन करने के साल भर में अपनी नियुक्ति पर खरे उतर पाते हैं। जबकि 46% केस तो ऐसे रहते हैं, जिनमें किसी कर्मचारी को नौकरी पर रखने के साल भर में ही बॉस को गलत इंसान की नियुक्ति करने का मलाल होने लगता है। हॉर्वर्ड बिजनेस रिव्यू की एक हालिया रिसर्च से निकले हैं। ये रिसर्च अमेरिका की मैनेजमेंट फर्म लीडरशिप आईक्यू की मदद से दुनियाभर की 312 कंपनियों के 5247 मैनेजर और 20 हजार से ज्यादा कर्मचारियों पर की गई। रिसर्च 3 साल तक चली।
बाकी 89% कर्मचारी ऐसे हैं, जो नए वर्कप्लेस से तालमेल ना बैठा पाने या ऐसी ही अन्य साइकोलॉजिकल समस्याओं के कारण अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। 26% लोग नई नौकरी में मिलने वाले फीडबैक को सकारात्मक रूप से नहीं ले पा रहे थे। इसी वजह से वो सफल नहीं हो पाए। 23% लोग नए वर्कप्लेस पर भावनात्मक रूप से अच्छा महसूस नहीं कर पाते हैं, इसलिए अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते। 17% लोग खुद को नई जगह मोटिवेट महसूस नहीं कर पाते, जबकि 15% लोगों को लगता है कि नई नौकरी उनके मिजाज के अनुरूप नहीं है।
सिर्फ 11% कर्मचारियों ने माना कि उनके पास नई नौकरी के हिसाब से योग्यता नहीं है। रिसर्च टीम में शामिल मार्क मर्फी कहते हैं- “दुनियाभर की कंपनियों में नियुक्तियों की प्रक्रिया जटिल हुई है। हमने यही पता लगाने के लिए रिसर्च की कि इतनी जटिल हायरिंग प्रक्रिया के बाद आखिर नतीजे कैसे निकल रहे हैं। नतीजों से पता लगा कि टेक्निकल स्किल तो अब दूसरे नंबर पर आ गई हैं। दरअसल नई नौकरी में लोग खुद को ढाल ही नहीं पा रहे हैं। इसी वजह से हमने देखा कि करीब 1000 केस ऐसे थे, जिनमें किसी नियुक्ति के पहले टेक्निकल की जगह साइकोलॉजिकल सवाल ज्यादा पूछे गए।
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15% लोगों को लगता है वो गलत नौकरी में आ गए
26% लोग नई नौकरी, नई जगह पर साथियों या बॉस से मिलने वाले फीडबैक को सकारात्मक रूप में नहीं ले पाते।
17% लोग मोटिवेशन और पुराने साथियों की कमी महसूस करते हैं।
सिर्फ 11% कर्मचारी मानते हैं कि उनके पास नई नौकरी के हिसाब से योग्यता नहीं है।
इन्हीं वजहों से जॉब इंटरव्यू में टेक्निकल की जगह साइकोलॉजिकल सवाल पूछे जाने का ट्रेंड लगातार बढ़ रहा है।
23% नए वर्कप्लेस पर इमोशनली अच्छा महसूस नहीं कर पाते।
3 साल तक दुनियाभर के 20 हजार से ज्यादा कर्मचारियों पर ये रिसर्च किया गया।