हिन्दू शास्त्रों और ज्योतिष के अनुसार धन, संपत्ति आदि में बरकद रखने के लिए कुछ नियम और उपाय बताएं गए हैं यदि लोग उन नियम और उपायों का पालन नहीं करते हैं तो ऐसे लोगों का धन जेलखाना, पागलखाना या दवाखाने में ही चला जाता है। उक्त में बर्बाद नहीं हुआ तो चोरी हो जाता है या उधारी में पैसा कभी वापस नहीं लौटता है। आओ जानते हैं कि वे कौन से नियम हैं।
1.जहां मदिरा सेवन, स्त्री अपमान, देवी और देवताओं का अपमान, तामसिक भोजन और अनैतिक कृत्यों को महत्व दिया जाता है उनका धन दवाखाने, जेलखाने और पागलखाने में ही खर्च होता रहता है। इसके अलावा जो व्यक्ति ब्याज का धंधा करते हुए लोगों की जिंदगी हराम कर रहा है ऐसे व्यक्ति का धन भी दवाखाने, पागलखाने या जेलखाने में लग जाता है।
1.घर में क्रोध, कलह और रोना-धोना आर्थिक समृद्धि व ऐश्वर्य का नाश कर देता है इसलिए घर में कलह-क्लेश पैदा न होने दें। आपस में प्रेम और प्यार बनाए रखने के लिए एक-दूसरे की भावनाओं को समझें और परिवार के लोगों को सुनने और समझने की क्षमता बढ़ाएं। अपने विचारों के अनुसार घर चलाने का प्रयास न करें। सभी के विचारों का सम्मान करें।
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2.पत्नी और बेटी लक्ष्मी का रूप होती हैं, भूलकर भी इन्हें न दुत्कारें, न कोसें तथा न ही कोई अशुभ वचन कहें। मां को साक्षात देवी पार्वती माना गया है। मां को दुखी रखने वाला कभी जीवन में सुखी नहीं रह सकता। पत्नी और बेटी के दुखी रखने से आप कभी सुखी नहीं रह सकते। एक बार यदि पत्नी रोती हुई अपने माता-पिता के घर चली गई तो याद रहे, इस पापकर्म से आपके घर की बरकत भी चली जाएगी। धन, वस्त्र व मान देकर पत्नी को मनाएं।
3.आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य मुखी मकान में ना रहें। घर को गंदा न रखें। घर बिखरा हुआ न हो और उसका रंग-रोगन भी आंखों को चुभने वाला ना हो। घर के चारों कोने साफ हों, खासकर ईशान, उत्तर और वायव्य कोण को हमेशा खाली और साफ रखें। घर में काले, कत्थई, मटमैले, जामुनी और बैंगनी रंग का इस्तेमाल न करें चाहे चादर, पर्दे या हो दीवारों का रंग। घर में सीढ़ियों को पूर्व से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण की ओर ही बनवाएं। कभी भी उत्तर-पूर्व में सीढ़ियां न बनवाएं।
वॉशरूम को गीला रखना आर्थिक स्थिति के लिए बेहतर नहीं होता है। प्रयोग करने के बाद उसे कपड़े से सुखाने का प्रयास करना चाहिए। कभी भी ब्रह्ममुहूर्त या संध्याकाल को झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। घर में या वॉशरूम में कहीं भी मकड़ी का जाला न बनने दें। र में कहीं भी कचरा या अटाला जमा न होने दें। छप्पर पर बांस न रखें और किसी भी प्रकार की अनुपयोगी वस्तुएं भी न रखें। घर में अगर पूजाघर नहीं हो तो किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही पूजाघर बनवाएं। यदि वह बनाने की छूट देता है तो किसी वास्तुशास्त्री से संपर्क करके ही पूजाघर बनवाएं।
4.संधिकाल में अनिष्ट शक्तियां प्रबल होने के कारण इस काल में निम्नलिखित बातें निषिद्ध बताई गई हैं- सोना, खाना-पीना, गालियां देना, झगड़े करना, अभद्र एवं असत्य बोलना, क्रोध करना, शाप देना, यात्रा के लिए निकलना, शपथ लेना, धन लेना या देना, रोना, वेद मंत्रों का पाठ, शुभ कार्य करना, चौखट पर खड़े होना। उपरोक्त नियम का पालन नहीं करने से जहां एक ओर बरकत चली जाती है वहीं व्यक्ति कई तरह के संकटों से घिर जाता है।
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5.दक्षिण दिशा में पैर करके न सोएं। शाम के समय सोना, पढ़ना और भोजन करना निषिद्ध है। सोने से पूर्व पैरों को ठंडे पानी से धोना चाहिए किंतु गीले पैर नहीं सोना चाहिए। इससे धन का नाश होता है। दांतों को अच्छे से साफ और चमकदार बनाए रखें। बार-बार थूकने, झींकने या खांसने की आदत को बदलें। उपरोक्त नियमों का पालन करने से व्यक्ति स्वस्थ बना रहता है।
6.भोजन करने और पानी पीने के दौरान हिन्दू नियमों का पालन करना जरूरी है। जैसे भोजन की थाली को हमेशा पाट, चटाई, चौक या टेबल पर सम्मान के साथ रखें। खाने की थाली को कभी भी एक हाथ से न पकड़ें। ऐसा करने से खाना प्रेत योनि में चला जाता है। भोजन करने के बाद थाली में ही हाथ न धोएं। भोजन करने के बाद थाली को कभी किचन स्टैंड, पलंग या टेबल के नीचे न रखें, ऊपर भी न रखें। भोजन के दौरान पानी नहीं पीएं। भोजन करने के आधे घंटे बाद ही पानी पीएं। भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए। रात में चावल, दही और सत्तू ना खाएं और किस दिन, नक्षत्र और तिथि को क्या न खाएं यह अच्छी तरह जान लेने से व्यक्ति दवाखाने से बच जाता है।