अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के डूबने का पूरे वैश्विक वित्तीय बाजार पर काफी बुरा असर हुआ है। इस कारण दुनिया के सभी शेयर बाजार में निवेशक 465 अरब डॉलर खो चुके हैं। अमेरिका में इन बैंकों के डूबने के बाद माना जा रहा है कि इसका पश्चिमी देशों के बैंकों के साथ एशियाई बैंकों पर भी असर देखने को मिल सकता है। इस कारण अमेरिका के साथ दुनिया के बैंकिंग शेयर भी कमजोर प्रदर्शन कर रहे हैं। अमेरिकी सरकार इस बैंकिंग क्राइसिस निपटने के साथ लगातार कदम उठा रही है।
बड़ी वित्तीय कंपनियों का हाल?
मंगलवार को शुरुआती कारोबार में MSCI एशिया पेसेफिक फाइनेंशियल इंडेक्स 2.7 प्रतिशत गिर गया, यह 29 नवंबर के बाद सबसे कमजोर स्तर था। जापान में मित्सुबिशी UFJ फाइनेंशियल ग्रुप इंक का शेयर 8.3 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया का हाना फाइनेंशियल ग्रुप इंक का शेयर 4.7 प्रतिशत और ऑस्ट्रेलिया के ANZ ग्रुप होल्डिंग लिमिटेड का शेयर 2.8 प्रतिशत गिर गया। हालांकि, अमेरिकी बैंकिंग शेयरों में अधिक गिरावट देखने को मिल रही हैं। फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के शेयर एक दिन में ही 60 प्रतिशत तक गिर गए।
सिलिकॉन वैली बैंक में निवेशकों की जमा का क्या हुआ?
नए सीईओ टिम मेयोपोलोस ने सोमवार को ग्राहकों को लिखे एक पत्र में कहा कि बैंक खुला है और पहले की तरह कारोबार कर रहा है। सभी मौजूदा और नई जमा वित्तीय नियामक यूएस फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्प (एफडीआईसी) द्वारा संरक्षित की गई हैं।
कच्चे तेल की कीमत पर क्या असर हुआ?
अमेरिका में बैंकों के डूबने के कारण वैश्विक मंदी का खतरा अधिक बढ़ गया है और इस कारण कच्चे तेल की कीमत पर दबाव देखा जा रहा है। ब्रेंट क्रूड का भाव 80.68 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है। वहीं, डब्लूटीआई क्रूड का भाव 74.64 प्रति बैरल पर है।
भारतीय बॉन्ड और सोने की कीमत पर क्या असर हुआ?
भारतीय बॉन्ड्स की यील्ड में मंगलवार को भी गिरावट देखने को मिली है। 10 साल के बेंचमार्क वाले 2032 बॉन्ड पर ब्याज 7.26 प्रतिशत चल रही है। वहीं, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेड की ओर से ब्याज दर कम बढ़ने की आशंका के चलते सोने की कीमत 1900 डॉलर प्रति आउंस के ऊपर बनी हुई है।