अफगानिस्तान को लेकर आगामी 24 अप्रैल को एक अहम बैठक शुरू हो रही है। इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र, तुर्की और कतर के अलावा अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के सदस्य हिस्सा लेंगे। ये बैठक 4 मई 2021 तक चलेगी। इसकी औपचारिक घोषणा संयुक्त राष्ट्र, तुर्की और कतर के साझा बयान में की गई है। ये बैठक तुर्की के इस्तांबुल में होगी।
यून मिशन इन अफगानिस्तान ने इसको लेकर एक ट्वीट किया है जिसमें कहा गया है कि इस बैठक का मकसद अफगानिस्तान में स्थायी शांति की स्थापना के लिये किए जाने वाले प्रयासों को मजबूती देना और एक राजनीतिक समाधान तलाशना है। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही इस्तांबुल में अफगानिस्तान को लेकर हर्ट ऑफ एशिया इस्तांबुल प्रोसेस की 9वीं बैठक हुई थी। इस बैठक में भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हिस्सा लिया था।
उन्होंने इस बैठक में भारत के तीन अहम बिंदु गिनाए थे जिनसे अफगानिस्तान में शांति बहाल करने और संकट का स्थायी हल निकालने में मदद हो सकती है। साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान के संदर्भ में अमेरिका के उस प्रस्ताव का समर्थन किया था जिसमें यूएन के नेतृत्व में शांति प्रक्रिया शुरू करने और इसमें रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान, भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों को शामिल करने की बात कही थी। जहां तक इस्तांबुल में 24 अप्रैल को शुरू होने वाली बैठक की बात है तो अभी तक ये साफ नहीं है कि इसमें भारत हिस्सा लेगा या नहीं। इस वार्ता में शामिल तीनों पक्षों ने अपने साझा बयान में कहा है कि वे सभी अफगानिस्तान की संप्रभुता बनाए रखने और शांति बहाली के स्थायी समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं।
गौरतलब है कि अमेरिकी पहल पर सितंबर 2020 में तालिबान और अफगान सरकार के प्रतिनिधियों के बीच दोहा में, औपचारिक शांति वार्ता शुरू हुई थी। इससे पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में फरवरी 2020 में तालिबान और अमेरिका के बीच में एक शांति समझौता किया गया था जिसमें अमेरिका ने अफगानिस्तान से 1 मई तक अपनी फौज को वापस ले जाने की बात कही थी। हालांकि राष्ट्रपति जो बाइडन ने अब इस सीमा को बढ़ाकर सितंबर 2021 कर दिया है। वहीं तालिबान ने अमेरिका के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
हाल ही में अफगानिस्तान यूएन की विशेष प्रतिनिधि डेबराह लियोंस ने सुरक्षा परिषद को ताजा हालांत की जानकारी दी है। उनका कहना है कि अफगानिस्तान में वर्षों से जारी हिंसा की वजह से हर पक्ष पीडि़त रहा है। इस वजह से सभी पक्षों में भरोसे की कमी आई है और मतभेद भी सामने आए हैं। आगामी बैठक के लिए एजेंडा तय करने के मकसद से अफगानिस्तान में विभिन्न पक्षों के साथ भी विचार-विमर्श किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस्तांबुल सम्मेलन से वार्ता में शामिल पक्षों के बीच बुनियादी सिद्धांतों पर सहमति बनाना संभव हो सकता है, जो अंत में वहां पर शांति बहाली के स्थायी प्रयासों को मजबूती देंगे। इससे यहां पर हिंसा के दौर को खत्म किया जा सकेगा।