भीषण गर्मी के बीच कोयले की कमी की चलते दिल्ली में बिजली संकट गहरा सकता है। ऐसे में आने वाले दिनों में बिजली दिल्लीवासियों के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। जानकारी के मुताबिक, दिल्ली को बिजली सप्लाई करने वाले पावर प्लांट में कोयले की कमी है और ऐसे में दिल्ली में बिजली संकट गहरा सकता है। वर्तमान में एक दिन का कोयला भी नहीं है। वहीं, दिल्ली में बिजली संकट की दस्तक के बीच केंद्र और राज्य के बीच राजनीति भी तेज हो गई है।
कुछ दिन पहले ही दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया था कि राज्य में बिजली संकट गहरा सकता है और इस बाबत केंद्र सरकार को बता दिया गया है। वहीं, रेल व कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने दिल्ली में कोयले की कमी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि केजरीवाल अपनी विफलताओं से ध्यान बंटाने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं।
केजरीवाल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख उनसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के बिजली संयंत्रों को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रेलवे को रेक उपलब्ध कराने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था। उन्होंने लिखा था कि रेक की कमी के कारण एनसीआर के बिजली संयंत्रों को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है।
केजरीवाल के आरोपों का जवाब देते हुए पीयूष गोयल ने कहा, ‘रेक उपलब्धता बटन दबाकर नहीं की जा सकती। कोयले की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पहले से योजना बनानी होती है और कोयले की संभावित मांग के ब्यौरे के साथ रेलवे को भुगतान करना होता है। उन्होंने यह नहीं किया। अब वह अपनी विफलताओं को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं।
पिछले चार वर्षों में उन्होंने न तो मुझसे कोई मुलाकात की और न ही कोई पत्र लिखा। कोयला मंत्री और रेल मंत्री बनने से पहले जब मैं बिजली मंत्री था, तब भी वह कभी नहीं मिले।’ पिछले वर्ष तक दिल्ली की बिजली की आवश्यकता बहुत कम थी। इस साल अचानक बिजली की मांग बढ़ गई है इसलिए वह कोयले की मांग कर रहे हैं। जबकि हकीकत ये है कि हमने दादरी संयंत्र के लिए कोयले की रेक बढ़ाकर दोगुनी कर दी हैं। ये कोई साधारण उपलब्धि नहीं है।
पियूष गोयल ने कहा कि पिछले वर्ष दादरी में कोयले की मांग कम थी और पूरे साल रोजाना केवल तीन रेक मांगी जाती रहीं। लेकिन इस वर्ष 23 मई से 28 मई के बीच रेक की दैनिक मांग बढ़कर सात रेक तक हो गई। इस दौरान संयंत्र को कोयले की कुल 39 रेक भेजी गईं। इसलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री की कोयले की अपर्याप्त आपूर्ति का दावा असत्य और आधारहीन है। भारतीय रेल दादरी, बदरपुर और झज्जर ही नहीं, देश के सभी बिजली संयंत्रों को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है। बता दें कि एक रेक में 58 वैगन के हिसाब से तकरीबन 3,750 टन कोयले की ढुलाई होती है।’
दिल्ली में टूट सकता है बिजली की मांग का रिकॉर्ड
इस वर्ष मई महीने में बिजली की मांग 6500 मेगावाट के करीब पहुंच गई है। यदि मौसम का यही हाल रहा तो अगले एक दो दिनों में बिजली की मांग का रिकॉर्ड भी टूट सकता है। वहीं, दिल्ली के लोगों को बिजली कटौती का भी सामना करना पड़ रहा है। दोपहर व रात को जिस समय मांग ज्यादा रहती है उस समय घनी आबादी वाले इलाके में बिजली गुल हो रही है। मंगलवार दोपहर की तुलना में बुधवार को दोपहर के समय बिजली की मांग में लगभग 200 मेगावाट की बढ़ोतरी दर्ज की गई। वहीं, शाम पौने चार बजे मांग 6442 मेगावाट के करीब पहुंच गई। दिल्ली में बिजली की मांग का रिकॉर्ड 6526 मेगावाट है जो कि पिछले वर्ष छह जून को दर्ज की गई थी। मांग बढ़ने से मंगलवार व बुधवार को भी कई इलाकों में बिजली की कटौती की गई। मंगलवार को कुल 0.095 मिलियन यूनिट बिजली की कटौती हुई। दोपहर सवा दो बजे के करीब दिल्ली में 128 मेगावाट कम बिजली की आपूर्ति हुई।