आपने भी बच्चों को आंखें मलते हुए देखा होगा. माता-पिता को यह सिखाया जाता है कि जब कोई बच्चा अपनी आंखें रगड़े, तो समझ लेना चाहिए कि उसे नींद आ रही है. लेकिन कभी सोचा कि बच्चे जब थक जाते हैं तो अपनी आंखें ही क्यों रगड़ते हैं? आखिर इसके पीछे की असल वजह क्या है. वैज्ञानिकों की रिसर्च में जो मिला वह चौंकाने वाला है.
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रेबेका डुडोविट्ज ने लाइव साइंस को बताया, दुर्भाग्य से, हम किसी बच्चे से ठीक-ठीक यह नहीं पूछ सकते कि वे अपनी आंखें क्यों रगड़ रहे हैं. लेकिन हम अनुभव कर सकते हैं. जब वे थके होते हैं तो अपनी आंखें मलना शुरू कर देते हैं. ऐसा तब होता है जब उनकी आंख की मांसपेशियों में खिंंचाव आने लगता है. मांसपेशियां बताती हैं कि अब ब्रेक का समय आ गया है. जिस तरह पूरे दिन डेस्क पर बैठने के बाद आपके कंधों को मालिश की आवश्यकता होती है, उसी तरह आपकी आंखों को ध्यान केंद्रित करने में मदद करने वाली मांसपेशियां रगड़ने के बाद बेहतर महसूस करती हैं.
अधिकांश समय आस-पास की वस्तुओं को घूरने में बिताते
बच्चे अपना अधिकांश समय अपने आस-पास की वस्तुओं को घूरने में बिताते हैं. इसलिए उनकी आंखें थक जाती हैं. घूरने से भी आंखें सूख जाती हैं. वयस्कों की अपेक्षा बच्चे एक मिनट में केवल कुछ ही बार पलकें झपकाते हैं, इसलिए उनकी आंखें भी जल्दी सूखती हैं. बार-बार पलक झपकने से आंसुओं की एक परत निकलती रहती है, जो मांसपेशियों को नर्म बनाए रखती है. लेकिन बच्चे चूंकि ज्यादा पलकें नहीं झपकाते, इसलिए उनकी कार्निया की सतह पर सूखे धब्बे बन जाते हैं. इसे हटाने के लिए ही बच्चे बार-बार अपनी आंखों को मलते हुए नजर आते हैं.
आंखें ज्यादा समय के लिए रगड़ना अच्छा नहीं
हालांकि, आंखें ज्यादा समय के लिए रगड़ना उनके लिए अच्छा नहीं है. बार-बार आंखें मलने से उनकी दृष्टि में समस्याएं हो सकती हैं. साइंटिस्ट के मुताबिक, जब आप थके हुए होते हैं, तो अपनी आंखें रगड़ना अच्छा लगता है. इसकी वजह सिर्फ ये है कि रगड़ने से ट्राइजेमिनल और वेगस तंत्रिकाएं उत्तेजित हो जाती हैं, जिससे वहां का ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. यह प्रक्रिया मस्तिष्क से आंखों तक और मस्तिष्क से पूरे शरीर में चलती रहती है. तो सीधी बात है कि बच्चे उन्हीं कारणों से अपनी आंखें रगड़ते हैं, जिन कारणों से वयस्क करते हैं. उनकी आंखें थकी हुई और सूखी हैं, और वे झपकी के लिए तैयार हैं.