छात्र ने मांगी केजरीवाल की जमानत, हाईकोर्ट ने पूछा- आप कौन?

दिल्ली हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए छात्र पर 75 हजार रुपये जुर्माना लगा दिया। साथ ही पूछा, क्या वह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है, जो उसे वीटो पावर मिला है। पीठ ने पूछा, केजरीवाल की मदद करने वाले आप कौन हैं।

शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए जमानत की मांग करना कानून के छात्र को भारी पड़ गया। दिल्ली हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए उस पर 75 हजार रुपये जुर्माना लगा दिया। साथ ही पूछा, क्या वह संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है, जो उसे वीटो पावर मिला है। पीठ ने पूछा, केजरीवाल की मदद करने वाले आप कौन हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन व जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि अदालत आपराधिक मामलों में सिर्फ इसलिए असाधारण अंतरिम जमानत नहीं दे सकती, क्योंकि आरोपी व्यक्ति उच्च पद पर है। कानून के समक्ष हर कोई समान है। केजरीवाल कोर्ट के न्यायिक आदेश के आधार पर हिरासत में हैं। वह अपने बचाव में कदम उठा रहे हैं। याचिकाकर्ता के पास केजरीवाल के लिए ऐसे बयान देने या निजी मुचलका रखने के लिए कोई पावर ऑफ अटार्नी नहीं है।

पीठ ने छात्र के वकील से कहा, केजरीवाल आपकी मदद नहीं चाहते हैं। आप कहते हैं आपके पास वीटो पावर है। आपको यह वीटो पावर कहां से मिली? क्या आप यह हलफनामा देंगे, केजरीवाल गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे। असल में, याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने अपने ‘वीटो अधिकार’ का इस्तेमाल करते हुए केजरीवाल की जमानत मांगी है।

तब तो हिरासत में कोई विचाराधीन कैदी न हो
वी द पीपल ऑफ इंडिया के नाम से याचिका दायर करने वाले छात्र ने कहा, उसे प्रचार नहीं चाहिए। केजरीवाल दोषी हो सकते हैं और नहीं भी। पिछली तीन तारीखों से, ट्रायल कोर्ट यह तय करने में व्यस्त है कि वह क्या खा सकते हैं और क्या नहीं।

पीठ ने इस पर कहा, आपके अनुसार हिरासत में कोई विचाराधीन कैदी नहीं होना चाहिए? जिसने याचिका दायर की है, क्या वह कॉलेज में कक्षाओं में जाता है? क्या उसकी उपस्थिति अच्छी है? ऐसा लगता है जैसे वह कानून के सिद्धांतों का पालन नहीं कर रहा हैं। आप मानकर चल रहे हैं कि यदि आप राजनेता हैं तो आपको जेल नहीं भेजा जाएगा?

केजरीवाल ने भी किया विरोध
केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि याचिका घातक है व आप प्रमुख अपने कानूनी अधिकारों को लागू करने व उनकी रक्षा के लिए कदम उठा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसी तरह की याचिकाएं पहले ही इस अदालत से खारिज कर दी गई हैं, जिसमें 50,000 रुपये जुर्माने वाली आखिरी याचिका भी शामिल है।

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