छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के दूसरे दिन मध्यप्रदेश की शैला गेड़ी नृत्य से सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का हुआ शुभारंभ

 छत्तीसगढ़ राज्योत्सव के दूसरे दिन मध्यप्रदेश की शैला गेड़ी नृत्य से सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का शुभारंभ हुआ। आदिवासी लोक नर्तकों ने मनमोहक नृत्य पेश कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बुधवार को पहली प्रस्तुति मध्यप्रदेश के नृत्य से हुई। अलग-अलग सत्रों में विविध राज्य के कलाकार प्रस्तुति देंगे।

इसके बाद उत्तराखंड के कलाकारों ने हारून नृत्य की प्रस्तुति दी। इस नृत्य में भगवान गणेश की आराधना करते हैं। दिवाली आदि पर्व पर यह नृत्य किया जाता है। उंगली में थाल घुमाकर नृत्य करते कलाकारों को दर्शकों की वाहवाही मिली। उत्तराखंड के हारून नृत्य में कलाकारों ने हाथी की सवारी और महिलाओं के सिर पर केतली रखकर अग्नि प्रज्वलित करके चाय बनाने के दृश्य ने मन मोह लिया। यह प्रतियोगिता दो वर्ग में पारंपरिक रीतिरिवाज और फसल कटाई वर्ग में हो रही है। 20 लाख का पुरस्कार विजेता को प्रदान किया जाएगा। नागालैंड के कलाकारों ने युद्ध कौशल को नृत्य में प्रस्तुत किया। भाला, हाथी दांत की कलाकारी वाले वस्त्र आकर्षण का केंद्र रहे।naidunia

इससे पहल छत्‍तीसगढ़ के 22वें स्थापना दिवस पर राज्योत्सव एवं आदिवासी नृत्य महोत्सव में मंगलवार को देश के सभी राज्यों के अलावा 10 अन्य देशों की पारंपरिक संस्कृति की झलक नृत्य में दिखाई दी। सुबह से रात तक राजधानीवासियों ने आदिवासी संस्कृति पर आधारित नृत्य का आनंद लिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित करके और आदिवासी नगाड़ा बजाकर नृत्य महोत्सव का शुभारंभ किया।

मुख्यमंत्री का स्वागत आदिवासियों द्वारा सिर पर पहने वाले वाले गौर सिंग मुकुट और छत्तीसगढ़ का गमछा पहनाकर किया गया। साथ ही परंपरागत वाद्य यंत्र मांदर भी भेंट किया गया। मुख्यमंत्री ने पिछले साल हुए आदिवासी नृत्य महोत्सव पर आधारित काफी टेबल बुक का विमोचन किया। मंच पर अनेक मंत्री, विधायक, जनप्रतिनिधि, निगम मंडलों के सदस्य, अधिकारी विराजमान थे।

राजगीत अरपा पैरी के धार….का गायन

कार्यक्रम का प्रारंभ छत्तीसगढ़ के राजगीत अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार… गीत की प्रस्तुति से हुआ। इस दौरान पंडाल में मौजूद हजारों लोगों ने खड़े होकर राजगीत गाकर राज्योत्सव की खुशियां जताई।

परेड में दिखाई नृत्य की झलक

मंच पर मौजूद अतिथियों के सामने बनाए गए प्लेटफार्म पर 10 देशों और सभी राज्यों के कलाकार परेड करते हुए निकले। परेड में अपने-अपने राज्य की संस्कृति पर आधारित नृत्य की प्रस्तुति दी। 10 देशों में सबसे पहले इजिप्ट, दूसरे नंबर पर इंडोनेशया इसके बाद क्रमश: मालद्वीप, मोजाबिंक, मंगोलिया, न्यूजीलैंड, रूस, रवांडा, सर्बिया, टोबो देश के कलाकारों की परेड का राजधानीवासियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।

राज्यों में सबसे पहले आंध्रप्रदेश, आखिरी में छत्तीसगढ़ का दल

अनेक देश के कलाकारों के पश्चात राज्यों में सबसे पहले आंध्रप्रदेश के नृत्य दल ने परेड की। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, असम, जम्मू एंड कश्मीर, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान, केरल, लक्षद्वीप, लद्दाख, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, ओडिसा, झारखंड, सिक्किम, त्रिपुरा, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और आखिरी में छत्तीसगढ़ के आदिवासी परेड में शामिल हुए।naidunia

तीन विदेशी दलों ने मंच पर दी प्रस्तुति

मंच पर अतिथियों की मौजूदगी में तीन देशों मोजांबिक, रूस और मंगोलिया के आदिवासी दल ने पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति दी। एक घंटे तक अतिथियों ने नृत्य का आनंद लिया।

दोपहर बाद राज्योत्सव मेला का शुभारंभ

प्रथम सत्र की प्रस्तुति के बाद दोपहर तीन बजे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्योत्सव मेला का फीता काटकर शुभारंभ किया। अनेक विभागों के स्टाल का भ्रमण किया और बच्चों के साथ सेल्फी खिंचवाई।

केरल का पनिया निरूथम नृत्य

केरल राज्य के कलाकारों ने पनिया निरूथम नृत्य की प्रस्तुति दी। पनिया का अर्थ है पहला आदिवासी । यह नृत्य केरल में पारंपरिक अनुष्ठानों के दौरान किया जाता है।naidunia

गुजरात का सिद्धिगोमा नृत्य

गुजरात के आदिवासी पारंपरिक एवं विवाह अनुष्ठान के अवसर पर सिद्धिगोमा नृत्य करते हैं। नृत्य में केवल पुरुष कलाकार ही भाग लेते हैं। मोर पंख और कौड़ियों से सजे धजे वस्त्र पहनकर सिद्धी आदिवासियों की प्रस्तुति ने मन मोह लिया। कहा जाता है कि सिद्धि मूलत: अफ्रीका मूल की जनजातियां है, जिन्हें 500 वर्ष पूर्व पुर्तगालियों ने भारत में बसाया था। यह जनजाति मुख्यत: कर्नाटक, गोवा और गुजरात में निवास करती है।

महाराष्ट्र का सोंधी मुखौटा

महाराष्ट्र के आदिवासी नृत्य में सोंधी मुखौटा आकर्षण का केंद्र रहा। सोंधी मुखौटा महाराष्ट्र की लोक परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है।

असम का दोमती कीकन

असम के कलाकारों ने दोमती कीकन नृत्य की प्रस्तुति दी। असम के युवक और युवतियां बैशाख माह में यह नृत्य करके खुशी व्यक्त करते हैं।

जम्मू कश्मीर का धमाली नृत्य

जम्मू-कश्मीर में किए जाने वाला धमाली नृत्य आध्यात्मिकता से ओतप्रोत होता है। इसमें अद्वै्त शिव की आराधना की जाती है। नृत्य के जरिए सर्वशक्तिमान ईश्वर की आराधना की जाती है। हाथ में आलम धागा बांधकर सुखी जीवन की कामना की जाती है।

तमिलनाडु का थोडा नृत्य

तमिलनाडु के कलाकारों ने थोडा नृत्य की प्रस्तुति दी। पारंपरिक वाद्य यंत्र के साथ लय, ताल मिलाते हुए नृत्य किया।

मंगोलिया का फ्युजन नृत्य

मंगोलिया के कलाकारों ने फ्युजन नृत्य की प्रस्तुति दी। नृत्य में मंगोलिया की संस्कृति, रीति रिवाज, परंपरा, प्राकृतिक सुंदरता का गुणगान किया गया। साथ ही अचीवमेंट इन हंटिंग, हाइटाइट स्ट्रेंथ, इंट्यूशंस ऑफ एनिमल्स एंड लाइफस्टाइल पर केंद्रित प्रस्तुतियों से समा बांधा।

फसल कटाई पर खुशी

मोजांबिक एवं रूस के नर्तक दल ने फसल कटाई के दौरान किए जाने वाले नृत्य की प्रस्तुति दी। इस दौरान करतब भरे प्रदर्शन ने दर्शकों का मन मोह लिया।

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