पार्टी ने सत्ता में आने की स्थिति में राज्य में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) स्थापित करने, युवाओं को मुफ्त स्मार्ट फोन देने, हर चुनाव क्षेत्र में कम से कम एक डिग्री कालेज खोलने व महिलाओं को डिग्री स्तर तक मुफ्त शिक्षा देने के साथ ही एम्स की तर्ज पर एक अस्पताल के अलावा कई मल्टीस्पेशलिस्ट अस्पताल खोलने और राज्य के स्वास्थ्य ढांचे की तस्वीर सुधारने का वादा किया था। अब उसके सामने इन वादों पर अमल करने की चुनौती होगी। पार्टी ने 50 हजार से ज्यादा रिक्त सरकारी पदों को साल भर के भीतर भरने का भी एलान किया है।
चुनौतियों से भरी होगी त्रिपुरा में भाजपा सरकार की राह…
पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में विधानसभा चुनावों में दो तिहाई बहुमत हासिल कर सत्ता हासिल करने वाली भाजपा की नई सरकार की राह चुनौतियों से भरी होगी। उस पर एक ओर जहां अपने चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती होगी, वहीं उसे राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति, बेरोजगारी और बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ और तस्करी की गंभीर समस्याओं से भी जूझना होगा। पार्टी अपने चुनाव अभियान के दौरान मुख्यमंत्री माणिक सरकार की वाममोर्चा सरकार पर जो आरोप लगाती रही है अब उसे खुद उन समस्याओं से जूझना होगा। इसके साथ ही उसे राज्य में विभिन्न आदिवासी संगठनों की ओर से उठने वाली अलग राज्य की मांग से भी निपटना होगा।
भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में राज्य के सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के तहत वेतन-भत्ते देने का एलान किया है। इस वजह से सरकारी कर्मचारियों ने खुल कर उसका समर्थन किया है। अब उसके समक्ष अपने वादे पर अमल करने की गंभीर चुनौती होगी। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर त्रिपुरा में उद्योग व कल-कारखानों के अभाव की वजह से राज्य में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है। इसके अलावा हाल के वर्षों में राजनीतिक हत्याएं और आदिवासी व गैर-आदिवासियों के बीच संघर्ष की घटनाएं भी तेज हुई हैं। राज्य की कानून व व्यवस्था की स्थिति को मजबूत करना भाजपा सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती होगी।