एक तरफ जहां भारत और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने को लेकर बुलाई गई आठवें दौर की बैठक बिना मुकाम हासिल किए ही खत्म हो गई तो वहीं दूसरी तरफ चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत मानते हैं कि चीन से खतरे को देखते हुए ड्रैगन से युद्ध की संभावनाओं को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने ये बयान उस वक्त दिया जब भारत और चीन के बीच वार्ता चल रही थी। जनरल रावत का ये भी कहना है कि बीते लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर काफी तनाव व्याप्त है। ऐसे में कभी भी दोनों देशों के बीच युद्ध हो सकता है। उनके मुताबिक जैसे हालात चीन ने सीमा पर पैदा किए हैं उनसे हालात कभी भी बिगड़ सकते हैं और दोनों पक्षोंमें संघर्ष हो सकता है। दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच ये वार्ता पूर्वी लद्दाख के चुशूल में हुई थी।
अपने बयान में रावत ने ये भी साफ कर दिया है कि भारत सीमा पर किसी भी तरह के बदलाव को बर्दाश्त नहीं करने वाला है। उनके अलावा सीमा विवाद सुलझाने को हुई सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता में भी भारत ने इस बात को लेकर अपनी स्थिति बेहद स्पष्ट कर दी है। आपको बता दें कि लद्दाख में मौजूदा समय में तापमान माइनस बीस डिग्री तक है। ऐसे में दोनों देशों की सेनाएं वहां पर डटी हुई है। इससे पहले ऐसा नहीं होता था। बेहद सर्द मौसम में भारतीय फौज के जवान ऊंचाई वाली चौकियों से नीचे आ जाते थे। इसका ही फायदा उठाकर चीन ने मई-अप्रैल 2020 में अपने जवानों को वहां पर बिठा दिया था।
15-16 जून की रात को जब लद्दाख में भारतीय जवानों की पीएलए जवानों से हिंसक झड़प हुई थी उससे पहले इस इलाके में आईटीबीपी के जवानों की पीएलए जवानों से झड़प हो चुकी थी। 15-16 जून की रात जो झड़प हुई थी उसमें एक कर्नल समेत जहां 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे वहीं अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इस झड़प में चीन की सेना के 40 से अधिक जवान मारे गए थे। इसके बाद से इस पूरे इलाके में दोनों ही तरफ से जवानों की तैनाती को बढ़ाया गया है। भारत ने सीमा पर चीन के हर दुस्साहस का जवाब देने के लिए कई तरह की मिसाइल, फाइटर जेट, टैंक तैनात किए हैं। वहीं चीन ने तिब्बत में अपनी वायु सेना का जमावड़ा बढ़ाया है। इस तनाव की वजह से ही ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत ने मुखपरी, टेबलटाप, रचिन ला और रेंजाग ला में अपने सैनिकों को तैनात किया है। वर्तमान में भारत का यहां की 13 पहाडि़यों पर कब्जा है।