पाकिस्तान और चीन खुफिया तरीके से जैविक हथियार बनाने की संभावना पर काम कर रहे हैं. इसके लिए बेल्ट रोड इनिशयेटिव (BRI) के फंड का इस्तेमाल किया जा रहा है. पाकिस्तान में इस रिसर्च को करने के लिए चरवाहों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
ये दावा किया है कि ऑस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध पत्रकार एंथनी क्लान ने जो द क्लैक्सॉन नाम की एक वेबसाइट चलाते हैं. एंथनी क्लान ने मडिया से बातचीत में कहा है कि CPEC क्षेत्र में खुफिया रिसर्च किए जा रहे हैं. चीन इन खुफिया रिसर्च की फंडिंग कर रहा है.
उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान की सेना मिलकर खतरनाक वायरस के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. इस पत्रकार के मुताबिक चीन और पाकिस्तान 2015 से ही इस प्रोजेक्ट में जुड़े हैं.
इससे पहले 23 जुलाई को प्रकाशित द क्लैक्सॉन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में इस पत्रकार ने दावा किया था कि चीन के कुख्यात वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने पाकिस्तान की सैन्य संस्था डिफेंस साइंस एंड टेक्नॉलजी ऑर्गेनाइजेशन (DESTO) के साथ एक खुफिया समझौते पर हस्ताक्षर किया है. पाकिस्तान और चीन ने इस समझौते को संक्रामक बीमारियों से लड़ने के लिए रिसर्च के खातिर किया गया समझौता बताया है.
बता दें कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी वही संस्था है जिस पर कोरोना वायरस को साजिशन बनाने का आरोप लगता है.
एंथनी क्लान ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पाकिस्तान में जिन वायरस पर रिसर्च हो रहे हैं वो बेहद खतरनाक है. उन्होंने कहा ऐसे रिसर्च पर काम करने के लिए जरूरी BL4 प्रयोगशाला भी इनके पास नहीं है. इनके पास मात्र BL3 लैब है.
एंथनी क्लान ने कहा कि इस बाबत इन दोनों देशों से सफाई मांगी जानी चाहिए कि इनके यहां क्या चल रहा है. उन्होंने कहा कि BRI प्रोजेक्ट के तहत ये खुफिया प्रयोग किए जा रहे हैं और इसमें BRI के फंड का ही इस्तेमाल किया जा रहा है.
इस ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार का दावा है कि इस रिसर्च में इंसानों को भी भागीदार बनाया जा रहा है. इनसे से ज्यादातर पाकिस्तान के चरवाहे किस्म के लोग हैं. इसलिए उन्हें ये भी समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वे कर क्या रहे हैं.