चीनी सेना ने ताइवान की ओर कई दर्जन युद्धक विमान और 11 युद्धपोत भेजे है। ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार चीन के कई विमानों को ताइवान जलडमरूमध्य के मध्य को पार करते देखा गया।
चीनी सेना ने ताइवान की ओर कई दर्जन युद्धक विमान और 11 युद्धपोत भेजे है। द्वीप के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।
चीन ने यह कार्रवाई ऐसे समय पर की है जब ताइवान की राष्ट्रपति हाल ही में अमेरिका के दौरे से लौटी हैं। अमेरिका में उन्होंने यूनाइटेड स्टेट्स हाउस के स्पीकर केविन मैककार्थी से मुलाकात की थी, जिसके बाद चीन बौखला गया और उसने ताइवान के प्रति अपना गुस्सा जाहिर किया है।
59 चीनी सैन्य विमानों को देखा गया
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सोमवार को सुबह 10 बजे तक ताइवान के पास 59 चीनी सैन्य विमानों को देखा गया। मंत्रालय ने कहा कि उनमें से 39 चीनी विमानों ने ताइवान स्ट्रेट मेडियन लाइन को पार किया और ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्रों में प्रवेश किया।
चीन का सैन्य अभ्यास
बता दें कि ताइवान को चेतावनी देने के लिए ने द्वीप के चारों ओर तीन दिनों के लिए सैन्य अभ्यास (military exercises) शुरू करने की घोषणा की थी। चीन ने त्साई की अमेरिकी यात्रा से जुड़े लोगों के खिलाफ यात्रा प्रतिबंध और वित्तीय प्रतिबंध भी लगा दिया है।
रविवार सुबह 6 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे के बीच कुल 70 विमानों को द्वीप के पास देखा गया। ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन विमानों को के मध्य को पार करते देखा गया। मध्य रेखा को पार करने वाले विमानों में 8 J-16 लड़ाकू जेट, 4 J-1 लड़ाकू विमान, 8 Su-30 लड़ाकू विमान और टोही विमान शामिल थे।
71 विमानों को देखा गया
इसके बाद शुक्रवार और शनिवार के बीच ताइवान के पास आठ युद्धपोत और 71 विमानों को देखा गया। ताइवान ने कहा कि वह अपने जमीन आधारित मिसाइल सिस्टम के जरिए चीन के चालों पर नजर रख रहा है। साथ ही अपने नौसेना के जहाजों पर भी नजर बनाए हुए है।
चीन करेगी ‘लाइव फायर ट्रेनिंग’
बता दें कि चीन कीचीन के फ़ुजियान प्रांत में लुओयुआन बे में ‘लाइव फायर ट्रेनिंग’ भी आयोजित करेगी। स्थानीय समुद्री प्राधिकरण ने सप्ताहांत में इसकी घोषणा की है। ताइवान के लिए चीन की सख्ती हाल के वर्षों में और भी तेज हो गया है।
लगभग दैनिक आधार पर विमानों या जहाजों को द्वीप की ओर भेजा जा रहा है। 1949 में गृहयुद्ध के बाद ताइवान चीन से अलग हो गया था। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का कहना है कि अगर आवश्यक हो तो द्वीप मुख्य भूमि से फिर से जुड़ने के लिए बाध्य है।