चक्रवाती तूफान ‘बिपारजॉय’ काफी तेजी से गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील हो गया है। इस चक्रवाती तूफान बिपारजॉय के कारण केरल में मानसून के शुरु होने की स्पीड थोड़ी धीमी हो सकती है। अरब सागर में आया ये तूफान इस साल का पहला चक्रवाती तूफान है।
वहीं, मौसम विज्ञानियों का कहना है कि चक्रवाती तूफान मानसून की तीव्रता को प्रभावित कर रहा है और केरल के ऊपर इसकी शुरुआत ‘हल्की’ रहेगी। मौसम विभाग के अनुसार, इसके उत्तर की ओर बढ़ने और एक बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील होने के आसार हैं। इसके बाद ये तूफान अगले 3 दिन में यह उत्तर-उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ेगा।
चक्रवाती तूफान में बदला बिपारजॉय
वहीं, IMD ने एक ट्वीट में कहा कि गंभीर चक्रवाती तूफान बिपारजॉय पूर्व-मध्य और आस-पास के दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर पिछले 6 घंटों के दौरान 5 किमी प्रति घंटे की गति के साथ लगभग उत्तर की ओर बढ़ा है और एक बहुत ही गंभीर चक्रवाती तूफान में बदल गया है।
IMD ने कहा कि यह चक्रवाती तूफान वर्तमान में गोवा के पश्चिम-दक्षिण पश्चिम में लगभग 860 किमी, मुंबई से 970 किमी दक्षिण पश्चिम, पोरबंदर से 1050 किमी दक्षिण-दक्षिण पश्चिम और कराची से 1350 किमी दक्षिण में है।
IMD के अनुसार चक्रवात ‘बिपारजॉय’ अगले 24 घंटों के दौरान लगभग उत्तर की ओर और फिर 3 दिनों के दौरान उत्तर-उत्तर-पश्चिम की ओर आगे बढ़ेगा। इसके प्रभाव के कारण पूर्वोत्तर अरब सागर और उत्तरी गुजरात तट पर 45-55 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से हवाएं चल सकती हैं और यह रफ्तार 65 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है।
मौसम विभाग ने मछुआरों को अगले कुछ दिनों तक समुद्र में नहीं उतरने की सलाह दी है। केरल-कर्नाटक तटों और लक्षद्वीप-मालदीव इलाकों में और कोंकण-गोवा-महाराष्ट्र तट पर 8 से 10 जून तक समुद्र में बहुत ऊंची लहरें उठने की संभावना है। इन तटों पर भी IMD द्वारा समुद्र में गए मछुआरों को लौटने की सलाह दी गई है।
चक्रवाती तूफानों की संख्या में हो रही वृद्धि
एक अध्ययन के अनुसार अरब सागर में चक्रवाती तूफानों की तीव्रता मानसून के बाद के मौसम में करीब 20 प्रतिशत और मानसून से पहले की अवधि में 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। अरब सागर में चक्रवाती तूफानों की संख्या में 52 प्रतिशत वृद्धि हुई है, वहीं बहुत गंभीर चक्रवाती तूफानों में 150 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई है।
क्या ‘बिपारजॉय’ के कारण मानसून में हो सकती है देरी?
दक्षिण पश्चिमी मानसून सामान्य तौर पर 1 जून को केरल में आ जाता है। इसमें करीब 7 दिन कम या ज्यादा हो सकते हैं। IMD ने मई के मध्य में कहा था कि मानसून 4 जून तक केरल पहुंच सकता है। स्काईमेट ने पहले मानसून के 7 जून को केरल में दस्तक देने का पूर्वानुमान लगाया था और कहा था कि यह 3 दिन पहले या बाद में वहां पहुंच सकता है। पिछले करीब 150 साल में केरल में मानसून आने की तारीख में व्यापक बदलाव देखा गया है।
वहीं, IMD के आंकड़ों के अनुसार 11 मई, 1918 को यह सामान्य तारीख से सबसे अधिक दिन पहले आया था और 18 जून, 1972 को इसमें सर्वाधिक देरी हुई थी। दक्षिण-पूर्वी मानसून ने पिछले साल 29 मई को, 2021 में 3 जून को, 2020 में 1 जून को, 2019 में 8 जून को और 2018 में 29 मई को केरल में दस्तक दी थी।
अनुसंधान दिखाते हैं कि केरल में मानसून के देरी से आने से यह जरूरी नहीं है कि उत्तर पश्चिमी भारत में भी मानसून देरी से ही आएगा। हालांकि, केरल में मानसून की देर से दस्तक को दक्षिणी राज्यों और मुंबई में मानसून आने में देरी से जोड़ा जा सकता है।
‘बिपारजॉय’ क्यों रखा गया चक्रवात का नाम?
बता दें कि बांग्लादेश ने इस तूफान को ‘बिपारजॉय’ नाम दिया है। इसका अर्थ है ‘विपत्ति’ या ‘आपदा’। कथित तौर पर, इस नाम को 2020 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) देशों द्वारा अपनाया गया था। इसमें बंगाल की खाड़ी और अरब सागर सहित उत्तरी हिंद महासागर के ऊपर बनने वाले सभी उष्णकटिबंधीय चक्रवात भी शामिल हैं, क्योंकि क्षेत्रीय नियमों के आधार पर चक्रवातों का नाम रखा जाता है।
WMO और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) के सदस्य देशों में चक्रवात के नामकरण की प्रणाली है। WMO के अनुसार, अटलांटिक और दक्षिणी गोलार्ध (हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत) में, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को वर्णानुक्रम में नाम मिलते हैं और महिलाओं और पुरुषों के नाम पर रखे जाते हैं, जबकि उत्तरी हिंद महासागर के देशों में चक्रवात के नामों को वर्णानुक्रम में सूचीबद्ध किया जाता है और ये लिंग-तटस्थ होते हैं।