बच्चों और गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक खाना, हाइजीन कंडीशन नहीं मिलने के कारण बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे है। यह सामने आया है पोषण माह के दौरान चल रहे कार्यक्रम के दौरान।
सोशल वेलफेयर विभाग चंडीगढ़ की तरफ से शहर के 450 आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण माह को लेकर गतिविधियां चलाई हुई हैं। जिसमें छह महीने से पांच साल के बच्चों के विभिन्न पैरामीटर चेक किए जा रहे है और उन्हें पौष्टिक खाना और दवाई उपलब्ध कराने का भी प्रबंध किया जा रहा है। विभाग के साढ़े चार सौ सेंटरों करीब 26 हजार बच्चे छह महीने से पांच साल की उम्र के है। जिनमें से 350 के करीब बच्चों में कुपोषण पाया गया है।
वजन और लंबाई कम होना आम बात
विभाग केंद्र सरकार के नियम अनुसार पूरे सितंबर महीने को पोषण माह के तौर पर मना रहा है। जिसमें बच्चों में पाया जा रहा है कि बच्चों में वजन कम होने के साथ लंबाई भी कम पाई जा रही है। इसके अलावा बच्चों में खून में कमी भी पाई जा रही है।
पौष्टिक खाने के अभाव में ज्यादा परेशानियां
गर्भ धारण के साथ ही महिलाओं को विशेष खान-पान और रहन-सहन पर जोर दिया जाता है लेकिन वर्किंग महिलाएं उसे पूरी तरह से फॉलो नहीं कर रही है। जिसके कारण पहले मां बनने वाली महिलाओं में भी खून की कमी पाई जा रही है। उसके बाद बच्चों के पौष्टिक खाने पर भी ध्यान नहीं दिया जाता जिसके चलते बच्चों में परेशानी आ रही है।
छह महीने मां का दूध अौर उसके बाद नियम के अनुसार अन्न पराशन जरूरी
बच्चे के बेहतर विकास के लिए एक हजार दिन ज्यादा जरूरी होते है। गर्भ धारण के बाद मां के पेट में 270 दिन और उसके बाद दो साल तक बच्चे को बेहतर से बेहतर डाइट देनी जरूरी है। मां का खुद का खान-पान, उसके बाद छह महीने तक मां का दूध, डेढ़ साल तक दाल, खिचड़ी से लेकर हरी सब्जियों का सेवन बच्चे के लिए होना जरूरी है।
हमारा प्रयास महिलाओं को बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य दिलाना है ताकि भविष्य में हमारे बच्चे स्वस्थ हो और वह बेहतर इंसान बन सके।