अक्सर आपने घर में देखा होगा खिड़की के अलावा एक उजालदान होता है जिसे वातायन, हवादार, संवातन या वेंटिलेशन भी कहते हैं। हालांकि वेंटिलेशन कई प्रकार के होते हैं। यह अक्सर दरवाजे के ऊपर, खिड़की के ऊपर या दीवार में कहीं छत से लगा होता है। इसका वास्तु अनुसार और मजबूत होना जरूरी होता है। आओ जानते हैं उजालदान के बारे में वास्तु अनुसार 5 खास बातें।

1. घर की छत में किसी भी प्रकार का उजालदान न हो। जैसे आजकल घर की छत में लोग दो-बाइ-दो का एक हिस्सा खाली छोड़ देते हैं उजाले के लिए। इससे घर में हमेशा हवा का दबाव बना रहेगा, जो सेहत और मन-मस्तिष्क पर बुरा असर डालेगा। यदि उजालदान बनाना ही है तो किसी वास्तुशास्त्री से पूछकर बनाएं।
2. घर की वायव्य, उत्तर, ईशान और पूर्व दिशा के उजालदान ही सही होते हैं। वायव्य दिशा में हवा के लिए और पूर्व दिशा में उजाले के लिए उजालदान बनाते हैं।
3. रसोई घर में उजालदान निश्चित ही बनाना चाहिए, ताकि उसका ताप और धुआं बाहर निकल सके।
4. बाथरूम और टॉयलेट में उचित दिशा में छत से लगे हुए उजालदान होना चाहिए।
5. आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य दिशा में उजालदान नहीं बनाना चाहिए। आग्नेय में रसोईघर है तो उजालदान उचित दिशा में बना सकते हैं।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal