घर में चाहिए नौकर का सुख तो धार्मिक तौर पर ले सिर्फ इतना…

आज हर घर में घरेलू काम-काज के लिए एक सहायक की जरुरत होती है लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि घर में नौकर टिकते नहीं हैं या अच्छा पैसा देने के बाद भी भरोसेमंद नौकर नहीं मिलते। व्यक्ति को जीवन में कितनी सुख-सुविधाएं मिलेंगी यह भी कुंडली के अवलोकन से पता चलता है। नौकर चाकर, अधीनस्थ लोगों से कितना सुख मिलेगा, यह जानने के लिए शनि की स्थिति देखना जरूरी है। शनि स्थिरता का ग्रह है, अधीनता का ग्रह भी है।

यदि मूल कुंडली में शनि उच्च का है, स्वगृही है, मित्र गृही है या लग्न के अनुसार शुभ स्थानों का स्वामी होकर शुभ स्थानों में हो तो व्यक्ति को सदैव दास-नौकरों का सुख मिलता रहेगा। यह सूत्र घर की कामवाली बाई से लेकर दफ्तर के कर्मचारियों तक के लिए लागू होता है। ऐसे व्यक्ति/महिला को अच्छे, ईमानदार नौकर-चाकर उपलब्ध रहेंगे। समय आने पर वह मालिक का भरपूर साथ भी देंगे।

कुंडली का चौथा घर व्यक्ति के ज़ीवन में मिलने वाले सुख, खुशियों, सुविधाओं, तथा उसके घर के अंदर के वातावरण अर्थात घर के अन्य सदस्यों के साथ उसके संबंधों को भी दर्शाता है। किसी व्यक्ति के जीवन में वाहन-सुख, नौकरों-चाकरों का सुख, उसके अपने मकान बनने या खरीदने जैसे भावों को भी कुंडली के इस घर से देखा जाता है।

इसके भी कुछ योग होते हैं जिस कारण ऐसा होता है जैसे:-

यदि कुंडली में शनि शत्रु स्थानों में हो या लग्न के अनुसार अशुभ स्थानों का स्वामी होकर शुभ स्थानों में बैठा हो तो ऐसा व्यक्ति हमेशा नौकरों-चाकरों के लिए तरस‍ता है। विशेषत: जब शनि नीच का हो और लग्न, सप्तम या चतुर्थ में रहे तो व्यक्ति को जीवन भर स्वयं श्रम करना पड़ता है। उसे नौकरों का सुख नहीं मिलता। यदि मिलता है तो वे व्यक्ति धूर्त होते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध कर, चमका देकर चलते बनते हैं। नीच का शनि व्यक्ति को दास-दासियों का सुख तो देता ही नहीं, अधिकारिक पद तक भी नहीं पहुंचने देता और अधीनस्थों का सुख नहीं देता।

कुंडली देखते समय नवमांश का भी विचार जरूरी है। यदि मूल कुंडली में शनि ठीक हो मगर नवमांश में नीच का हो तो वह अशुभ फल ही देता है।
शनि के अतिरिक्त शुक्र को भी देखें। यदि वह भी अशुभ है, नीच का है तो व्यक्ति जीवन भर सुख-सुविधाओं के लिए तरसता रहता है।

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