घरेलू हिंसा से तंग आ महिला ने छोड़ा ससुराल, गुजरात हाईकोर्ट ने दिए ये आदेश

गुजरात हाईकोर्ट ने धर्म परिवर्तन कर विवाह करने के बाद ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग आकर घर छोड़ने वाली महिला को उसके दो जुडवों बच्‍चों को सौंपने का आदेश किया है। हाईकोर्ट ने पुलिस को बच्‍चों के कपड़े अन्‍य जरुरी वस्‍तुओं की व्‍यवस्‍था करने के साथ छह माह तक माता व उसके बच्‍चों का खयाल रखने तथा उनको पर्याप्‍त सुरक्षा प्रदान देने के निर्देश किये हैं।

गुजरात उच्‍च न्‍यायालय की न्‍यायाधीश सोनिया गोकाणी तथा न्‍यायाधीश एन वी अंजारिया की खंडपीठ ने पीड़ित महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अपने आत्‍मविश्‍वास से आतमनिर्भर होकर जीवन जीने की जद्दोजहद कर रही महिला के चरित्रहनन की बातें कर उसका मनोबल नहीं तोड़ा जा सकता। अदालत महिला के चरित्र को लेकर दी जा रही दलीलों से प्रभावित नहीं होगी। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि करीब 11 माह बाद तीन साल से कम उम्र के बच्‍चे अपनी माता से अदालत परिसर में मिले तो उनकी माता के प्रति भावना व प्रेम को सहज रूप से महसूस किया जा सकता, इतने लंबे समय बाद भी उनकी आत्‍मीयता देखने लायक है। अदालत ने अहमदाबाद पुलिस को आदेश किया कि वह महिला व बच्‍चों की छह माह तक देखभाल करे तथा उन्‍हें पर्यापत सुरक्षा प्रदान करे ताकि उसका पति व ससुराल वाले उसको परेशान नहीं कर सकें। अदालत ने पुलिस को बच्‍चों के कपड़े व अन्‍य जरूरी सामान भी मुहैया कराने को कहा है।

गौरतलब है कि अहमदाबाद की एक हिंदू युवती ने राजकोट के गफरुद्दीन से प्रेम विवाह किया था, शादी के बाद उसने धर्म परिवर्तन कर लिया था। शादी के कुछ समय बाद ही पति व ससुराल वाले उसे प्रताड़ित करने लगे। इसी दौरान उसके दो जुडवां बच्‍चे हुए जिनकी उम्र तीन साल से कम है। करीब 11 माह पहले महिला को ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया जिसके बाद उसने पहले राजकोट पुलिस में शिकायत दर्ज कराई लेकिन सुनवाई नहीं की गई तो गुजरात उच्‍च न्‍यायालय में हेबियस कॉरपस, बंदी प्रत्‍यक्षीकरण के तहत याचिका दाखिल की। उच्‍च न्‍यायालय ने राजकोट के सैशंस कोर्ट में जज के समक्ष बच्‍चों को महिला की कस्‍टडी में सौंपने के साथ पुलिस को उनकी सुरक्षा व जरुरत का ध्‍यान रखने के भी निर्देश दिए हैं।

अदालत ने कहा कि जब महिला टिफिन व्‍यवसाय कर आत्‍मसम्‍मान पूर्व जीने का प्रयास कर रही है तो उसकी मदद को आगे आना चाहिए। कॉलेज के दिनों में महिला के अवैध संबंध थे तथा उसका चरित्र ठीक नहीं है ऐसे आरोप लगाकर उसके आत्‍मबल को तोड़ना गलत है। अदालत ने यह भी कहा कि पति का आपराधिक रिकार्ड रहा है ऐसे में पुलिस को इस बात का भी ध्‍यान रखना होगा कि वह किसी तरह कानून अपने हाथ में नहीं ले सके।

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