घंटों बैठे रहने की वजह से हो सकते हैं डेड बट सिंड्रोम का शिकार

आजकल इनएक्टिव लाइफस्टाइल और अनहेल्ही खानपान की वजह से लोगों ने कई बीमारियों को न्योता दे दिया है। खास तौर से डेस्क जॉब करने वालों को इन समस्याओं का सामना ज्यादा करना पड़ता है। न चाहते हुए भी घंटों उन्हें एक ही पोश्चर में बैठे रहना पड़ता है, जिससे शारीरिक समस्याएं शुरू हो जाती हैं।

इन्हीं समस्याओं में से एक बेहद गंभीर स्थिति है- डेड बट सिंड्रोम। अगर आप भी दिन भर में 8 घंटे से ज्यादा एक जगह बैठ कर गुजारते हैं, तो डेड बट सिंड्रोम के बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।

क्या है डेड बट सिंड्रोम?

लंबे समय तक बैठे रहने के कारण जब जांघों की मांसपेशियां सक्रिय हो कर काम नहीं करती हैं, तो डेड बट सिंड्रोम होता है।

ऐसा तब होता है जब बट्स की मांसपेशियां सही तरीके से काम न करें और असल में सो जाएं।

लंबे समय तक बैठे रहने के कारण ये मांसपेशियां पैसिव मोड में चली जाती हैं। ऐसे में शरीर इसे एक्टिव करना भूल-सा जाता है।

यही कारण है कि डेड बट सिंड्रोम को ग्लूटीयल एम्नेशिया भी कहते हैं।

हिप्स की मांसपेशियां शरीर की सबसे बड़ी मांसपेशी होती है। हमारे ज्यादातर बॉडी मूवमेंट में इसकी अहम भूमिका होती है। जब ये लंबे समय तक बैठे रहने के कारण काम नहीं करती, तब इनके काम का बोझ शरीर के अन्य अंगों पर पड़ता है जैसे घुटने, पीठ आदि। इससे इन अंगों की मांसपेशियों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है।

डेड बट सिंड्रोम के लक्षण-

लंबे समय तक बैठे रहने के कारण बटक की मांसपेशियां सुन्न सी पड़ जाती हैं। या फिर इनमें दर्द शुरू हो सकता है।

गंभीर मामलों में ये दर्द तेज हो सकता है और साथ ही एक या दोनों हिप्स के साथ घुटनों और पीठ में अकड़न महसूस हो सकती है।

तेज़ दर्द पैरों तक खिंच के जा सकता है और फिर ये दर्द साइटिका के दर्द जैसा महसूस होता है।

ग्लूट्स और हिप फ्लेक्सर में ताकत की कमी होने लगेगी।

जिस तरफ हिप्स में दर्द होगा, उस तरफ लेटने पर ये दर्द बढ़ सकता है।

दर्द के कारण चलने का तरीका भी बदल सकता है।

डेड बट सिंड्रोम का इलाज-

घंटों बैठे रहने से बचें। बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें।

एक्सरसाइज करें। स्क्वॉट, जंपिंग जैक या नॉर्मल सीधी जमीन पर लेट जाएं।

जितना संभव हो उतना मूव करें। हर आधे घंटे पर वॉक करें।

स्ट्रेचिंग और ग्लूटियल एक्सरसाइज करें।

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