गोल्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट, निवेश के लिए कौन है बेहतर विकल्प, जानिए

बचत और निवेश लॉन्ग टर्म प्रोसेस है। बेहतर निवेश के लिए आपको नियमित तौर पर बचत करना होगा। जानकारों के मुताबिक, निवेश के वक़्त आपके पोर्टफोलियो ने विविधता रहनी चाहिए। इसके अलावा आपको निवेश के जोखिम को भी दिमाग में लेकर चलना होगा। लोग निवेश को लेकर कई बार कंफ्यूज रहते हैं कि उन्हें किस प्रोडक्ट में निवेश करना चाहिए। कई बार निवेशक गोल्ड और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में निवेश को लेकर संशय में रहते हैं कि किसमें निवेश करना ज्यादा बेहतर होगा।

एफडी और गोल्ड दोनों में निवेश के अपने नियम हैं। एफडी पर रिटर्न पूरी तरह से कर योग्य हैं टैक्स-सेवर एफडी भी हैं जिनकी लॉक-इन अवधि 5 साल है। कोई व्यक्ति आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत प्रति वर्ष 1।5 लाख रुपये की कर छूट का दावा कर सकता है। एफडी नेचर के लिहाज से रिस्क फ्री है। मालूम हो कि कर-बचत के उद्देश्य के लिए पांच साल की एफडी, पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले समय से पहले निकासी की अनुमति नहीं देगा।

गोल्ड को इक्विटी, बॉन्ड, बैंक टर्म डिपॉजिट, पोस्ट ऑफिस सेविंग, इंश्योरेंस स्कीम आदि के बीच सबसे अधिक नकद संपत्ति माना जाता है। कोई भी व्यक्ति सोने के अधिकांश मानक रूपों को काफी आसानी से नकदी में बदल सकता है। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि सोना जोखिम से बचने वाले निवेशकों के लिए एक आदर्श निवेश विकल्प है।

निवेश के दृष्टिकोण से गोल्ड से जुड़ा नुकसान यह है कि आप इसे आसानी से बेच सकते हैं, लेकिन सोने की छोटी अवधि में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव होने से नुकसान की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, यह कोई आय उत्पन्न नहीं करता है। यदि आप सोने के गहने खरीदते हैं, तो आप इसे छोटे हिस्से में नहीं बेच सकते।

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