दिसंबर के बाद जनवरी में भी मौसम की बेरुखी से किसान परेशान हैं। दिन में निकल रही चटक धूप किसानों की बेचैनी बढ़ा रही है। पिछले साल खराब मौसम होने से फसल की पैदावार कम हुई थी। इस साल भी मौसम की स्थिति देख किसानों के माथे पर चिंता की लकीर बढ़ती जा रही है। हालांकि मौसम वैज्ञानिक आने-वाले समय में वर्षा के साथ-साथ शीतलहर का भी पूर्वानुमान जता रहे हैं। जो गेहूं की फसल के लिए लाभकारी साबित होगा।
मंगलवार की सुबह ठंड और कोहरा रहा। लेकिन, दिन चढ़ने के साथ मौसम साफ होता गया। सुबह 10 बजे से निकली चटक धूप से शहर में लोगों काफी राहत मिली। पार्क और छत पर बुजुर्ग और बच्चे धूप सेंकते नजर आए। मंगलवार को अधिकतम तापमान 20.2 व न्यूनतम तापमान 8.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
मौसम विभाग की माने तो बुधवार को अधिकतम तापमान 17 और न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है। बेलीपार कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. सतीश कुमार सिंह ने बताया कि रबी फसल मुख्यत: सर्द मौसम की फसल होती है। गेहूं की बुआई के समय 19 से 23 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल रहता है।
बुआई के समय भी ज्यादा था तापमान
गेहूं की बुआई नवंबर में होती है और इस समय 19 से लेकर 23 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। इस बार नवंबर में अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक बना हुआ था। दिसंबर में के अंतिम कुछ दिनों में तापमान में गिरावट दर्ज की गई। जनवरी का पहला सप्ताह तो रबी की फसल के लिए लाभप्रद रहा। हल्की बूंदाबांदी के साथ ही ओस की बूंदें भी पड़ी। लेकिन, इधर दो दिन से दिन में निकल रही चटक धूप से किसान परेशान हैं।
उनका कहना है कि पिछले साल मौसम अनुकूल नहीं होने से गेहूं के पैदावार पर असर पड़ा था। गगहा क्षेत्र के भैंसहा बुजुर्ग के किसान अविनिंद्र सिंह ने बताया कि पिछले साल खराब मौसम का असर गेहूं के पैदावार पर असर पड़ा था।
उन्होंने बताया कि आमतौर पर एक एकड़ में 15 से 20 कुंतल पैदावार का मानक है लेकिन पिछले साल 8 से 10 कुंतल पैदावार हो सका था। गगहा क्षेत्र के नरौहा गांव के किसान सौदागर निषाद ने बताया कि बढ़ता तापमान रबी की फसल मुख्यत: गेहूं और जौ के लिए नुकसानदायक साबित होगा। हालांकि, सरसों के लिए यह लाभप्रद है।