बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही आज चारधाम यात्रा का भी विधिवत समापन हो जाएगा। कपाट वृष लग्न में शाम 6 बजकर 45 मिनट पर बंद किए जाने है। इसके लिए मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है। मंदिर की सजावट में करीब 20 क्विंटल फूलों का उपयोग किया गया है।
मंदिर के कपाट बंद होने से पहले आज कपाट बंद करने से पहले रावल फिर स्त्री वेश धारण कर मां लक्ष्मी को गर्भगृह में स्थापित करेंगे। इसके बाद शीतकाल के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। इस मौके पर उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, सुनील तिवारी, राजेंद्र चौहान, भूपेंद्र रावत, डा.हरीश गौड़, संजय भट्ट, कृपाल सनवाल, हरीश जोशी आदि मौजूद रहे। उधर, कपाटबंदी को यादगार बनाने के लिए बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को गेंदा, गुलाब, कमल आदि के फूलों व पत्तियों से सजाया गया है।
जानिए कब क्या
20 नवंबर
ब्रह्ममुहूर्त में 4.30 बजे: मंदिर खुला।
सुबह 5.00 बजे: अभिषेक किया गया।
सुबह 8.00 बजे: बाल भोग।
दोपहर 11.30 बजे : भोग।
शाम 6.30 बजे : उद्धवजी और कुबेरजी को गर्भगृह से मंदिर परिसर में लाया जाएगा। इसके बाद रावल मां लक्ष्मी को गर्भगृह में विराजमान करेंगे।
शाम 6.45 बजे : शीतकाल के लिए मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे।
जानिए क्या है मान्यता
पौराणिक मान्यता और पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार बदरीनाथ कपाट खुलने से पहले बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार के आगे सभा मंडप के मुख्य द्वार पर परिसर में विधिवत तौर पर भगवान श्री गणेश और भगवान श्री बदरी विशाल का आह्वान कर धर्माधिकारी और वेदपाठियों ने पूजा शुरू की। जिन चाबियों से द्वार के ताले खोले जाते हैं, पहले उन चाबियों की पूजा अर्चना की जाती है। पहला ताला टिहरी महाराजा के प्रतिनिधि के रूप में राजगुरु नौटियाल के द्वारा खोला जाता है। उसके बाद मंदिर के हक हकूकधारी मेहता थोक व भंडारी थोक के प्रतिनिधियों द्वारा ताले खोले जाते हैं।