गेंदबाजों की होगी मौज! हर ओवर से पहले बदल सकेंगे पिच

क्रिकेट को रोमांचक बनाने के लिए नित नए प्रयोग होते रहते हैं। हाल ही में हुए टी-20 विश्व कप में हमने ड्रॉप इन पिचों के प्रयोग को देखा, लेकिन अब इससे भी एक कदम आगे बढ़कर बिहार के भागलपुर निवासी राकेश प्रियदर्शी ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे ओवर बदलने से पहले क्रिकेट की पिच बदल सकेगी।

हर ओवर डालने से पहले बदल सकेंगे पिच, बिहार के शख्स ने बनाई नई तकनीक
वर्तमान में, भले ही ऐसा प्रयोग मैच के दौरान संभव नहीं हो, परंतु यह भविष्य में क्रिकेट को रोमांचक जरूर बना सकेगा। 2023 वनडे विश्व कप के दौरान कुछ महान पाकिस्तानी पूर्व क्रिकेटरों ने भारतीय टीम पर ऐसे मनगढ़ंत आरोप लगाए थे, परंतु अब ‘इन-सीटू (स्थान बदले बिना) क्रिकेट पिच परिवर्तन तकनीक’ से यह अवश्य संभव हो सकता है।

विशेष है यह तकनीक
हमने ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में सिडनी और पर्थ की अनियमित उछाल वाली पिचें, और न्यूजीलैंड के भारत दौरे में पुणे और मुंबई की स्पिन की मददगार पिचें देखीं। यह एक-दूसरे से बिल्कुल अलग थीं, लेकिन अब इस तकनीक के माध्यम से हम एक ओवर बदलने से पहले पुणे की पिच को सिडनी की पिच बना सकेंगे।

राकेश के अनुसार,
“वर्तमान में अगर हम पिच बदलने के प्रस्तावित तरीकों की बात करें तो उनमें सबसे बड़ी समस्या समय की ही होती है। चाहे वह पिच स्लाइडिंग तकनीक हो, जिसमें पिच को क्षैतिज रूप से स्लाइड करके बदला जा सकता है या वर्टिकल लिफ्ट एंड स्वैप तकनीक, जिसमें पिच को ऊपर उठाकर दूसरी पिच को जगह पर लाया जा सकता है। इन-सीटू पिच परिवर्तन तकनीक इसी समस्या का समाधान है। सबसे विशेष बात यह है कि इसके माध्यम से एक क्लिक से केवल 60 सेकेंड में पिच को बदला जा सकता है।”

राकेश प्रियदर्शी ने बताया कि उन्होंने इस तकनीक का विश्व बौद्धिक संपदा संगठन में पेटेंट भी दाखिल कर दिया है और वर्तमान में यह परीक्षण प्रक्रिया की प्रतीक्षा में है।

तकनीक की उपयोगिता
पिच के अनुसार ही टीमें रणनीतियां बनाती हैं, यही कारण है कि वर्तमान में आइसीसी के कानून के अनुसार पिच बदलने के लिए दोनों कप्तानों और रेफरी की सहमति आवश्यक है। हालांकि, यह तकनीक, खेल के रोमांच को एक नई दिशा दे सकती है। राकेश प्रियदर्शी के अनुसार भविष्य में अगर आइसीसी चाहे तो इस तकनीक के माध्यम से पिच पावरप्ले का विकल्प शुरू कर सकती है।

यानी बल्लेबाजी और गेंदबाजी टीम जब चाहे तब वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार पिच का विकल्प कुछ सीमित ओवरों के लिए चुन सकती है। साथ ही हमने कई बार देखा है कि पिच के खराब होने के बावजूद कई बार उसी पर खेलने पर मजबूर होना पड़ता है।

उदाहरण स्वरूप, पिछले वर्ष डब्ल्यूपीएल को ही ले लीजिए। केवल दो स्थानों पर सभी मैचों के आयोजन के कारण लगातार एक ही पिच पर कई मैच कराए गए। इस तकनीक के माध्यम से आसानी से हम पिच बदलकर यह समस्या दूर कर सकते हैं। यह एक ही स्थान पर लगातार दो मैच कराने के विकल्प को भी संभव बनाती है।

एशेज टेस्ट में हुआ था प्रयोग
वर्तमान में भले आईसीसी के कानून में बीच मैच पिच बदलना असंभव है, परंतु 1882-83 में एशेज सीरीज के दौरान सिडनी में हुए एक टेस्ट मैच में ऐसा किया गया था। टेस्ट नंबर 13 के नाम से प्रसिद्ध इस टेस्ट में हर पारी में अलग पिच का प्रयोग किया गया था। यह मैच इतना रोमांचक था कि 55000 दर्शक इस टेस्ट मैच को देखने पहुंचे थे।

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