अहमदाबाद, महानगर पालिका में नेता विपक्ष पद को लेकर शहजाद खान के भारी विरोध के बावजूद कांग्रेस ने नेता विपक्ष पद के लिए उनके नाम का ऐलान कर दिया। नीरव बक्षी को जहां उपनेता बनाया गया वहीं जगदीश राठौड को दंडक बनाकर असंतोष को थामने का प्रयास किया लेकिन राजनीति के जानकार इस निर्णय को आत्मघाती मान रहे हैं। उधर भाजपा ने एक बार फिर कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाया है।
गुजरात में फरवरी-मार्च 2021 में महानगर पालिका का चुनाव हुआ था जिसके बाद भाजपा ने तुरंत अपना महापौर चुन लिया लेकिन आंतरिक खींचतान के चलते कांग्रेस नेता विपक्ष व अन्य पदों पर नियुक्ति नहीं कर पाई थी। दस माह बाद पार्टी ने अहमदाबाद के पार्षद शहजाद खान पठान का नाम नेता विपक्ष पद के लिए आगे बढ़ाया तो करीब एक दर्जन पार्षद उसके विरोध में उतर आए। इनमें 4 महिलाएं एवं 4 अल्पसंख्यक पार्षद शामिल हैं।
उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने बागी पार्षदों का विरोध दरकिनार करते हुए नेता विपक्ष के रूप में शहजाद के नाम का ऐलान कर दिया। मनपा में विपक्ष के नेता पद को लेकर कांग्रेस में जहां गुटबाजी सामने आई वहीं पार्टी एआईएमआईएम के दबाव में भी नजर आई। चूंकि शहजाद ने कुछ समय पहले सांसद असदुद्दीन औवेसी से मुलाकात कर कांग्रेस को अलविदा करने के संकेत दे दिये थे। राजनीति के जानकारों का मानना है कि अहमदाबाद मनपा में कांग्रेस के 24 में से 11 पार्षद के विरोध के बावजूद शहजाद को चुना जाना पार्टी के लिए नुकसान का सौदा हो सकता है।
प्रदेश भाजपा के सहप्रवक्ता किशोर मकवाणा का कहना है कि कांग्रेस में लोकतंत्र जैसा कुछ रह नहीं गया है। पार्टी में अपने नेता व कार्यकर्ताओं की बात सुनने का कोई मंच नहीं है जिसके कारण आए दिन कांग्रेस का विवाद सार्वजनिक रूप से बाहर आ जाता है। नेता विपक्ष के पद पर शहजाद का चुना जाना कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति को दर्शाता है। कांग्रेस में ऊपर से लेकर नीचे तक ऐसे ही कार्यकर्ताओं व जनता की भावना के विपरीत फैसले किए जाते रहे हैं।