गुजरात में पाटीदारों का दिल जीतने उतरे मोदी…

पीएम मोदी गुजरात में बीजेपी के परंपरगता माने जाने वाले वोटबैंक पाटीदार समुदाय को साधने जुटे हुए है. दौरे के पहले दिन सोमवार को मोदी ने कड़वा पाटीदारों से मुलकात की. पीएम अपने दौरे दूसरे दिन अहमदाबाद में बड़ी रैली को संबोधित करके लेउवा पाटीदार समुदाय को साधने की कवायद की.

बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. सूबे में कांग्रेस खाता भी नहीं खुला था. लेकिन 2015 के बाद गुजरात के सियासी समीकरण बदले हैं. खासकर पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद बीजेपी के इस मूल वोटबैंक में कांग्रेस सेंध लगाने में कामयाब रही है. इसी का नतीजा है कि 2017 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी सौ का आंकड़ा भी नहीं पार कर सकी थी. दो दशक में बीजेपी का सबसे खराब प्रदर्शन रहा था.

विधानसभा चुनाव में पाटीदार बहुल सीटों पर बीजेपी को तगड़ा झटका लगा था. प्रदेश की ग्रामीण इलाकों की ज्यादातर सीटें गंवा दी थी. ऐसे में बीजेपी को सूरत की विधानसभा सीटों पर जीत न मिलती तो पार्टी सत्ता से दूर हो सकती थी.

पाटीदार आरक्षण आंदोलन के अगुवा हार्दिक पटेल गुजरात से लेकर देश भर में नरेंद्र मोदी के खिलाफ माहौल बनाने में जुटे हैं. नरेंद्र मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. यही वजह है कि वो सबसे पहले अपने गृह राज्य को मजबूत करने में जुट गए हैं. इस कड़ी में रुठे पाटीदारों को मानने की कोशिश कर रहे हैं.

गुजरात में करीब 20 फीसदी पाटीदार मतदाता हैं. प्रदेश की 26 में से 10 लोकसभा सीटों पर काफी मजबूत असर रखते हैं. पाटीदार दो वर्गे में बंटा हुआ है. इसमें लेउवा पटेल और कड़वा पटेल हैं. कड़वा पटेल 60 फीसदी और लेउवा पटेल 40 फीसदी हैं.

कड़वा पटेल समुदाय के लोग उत्तर गुजरात के मेहसाणा, अहमदाबाद, कड़ी-कलोल इलाके की सीटों पर असर रखते हैं. जबकि लेउवा पटेल ज़्यादातर सौराष्ट्र-कच्छ इलाके (गुजरात के पश्चिम तटीय क्षेत्र) के राजकोट, जामनगर, भावनगर, अमरेली, जूनागढ़, पोरबंदर, सुरेंद्रनगर, कच्छ जिलों में ज्यादातर पाए जाते हैं.1960 में महाराष्ट्र से अलग होकर गुजरात राज्य बना. गुजरात में अब तक 17 मुख्यमंत्री बदल चुके हैं और उसमें सात बार पटेल मुख्यमंत्री बने हैं.

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