गुजरात के आदिवासी बहुल छोटा उदयपुर जिले में सिंचाई परियोजनाओं के लिए कार्यकारी अभियंता का फर्जी कार्यालय बनाकर पिछले दो साल में कथित तौर पर 4.16 करोड़ रुपये का सरकारी अनुदान हासिल करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के अनुसार, आरोपी संदीप राजपूत ने कथित तौर पर बोडेली में सिंचाई परियोजना डिवीजन के कार्यकारी अभियंता का फर्जी कार्यालय स्थापित किया ताकि फर्जी परियोजनाओं के लिए 4.16 करोड़ रुपये का सरकारी अनुदान प्राप्त किया जा सके, जिसके लिए 2021-2022 और 2022-2023. में प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी।
आरोपितों को 12 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा गया
एक अधिकारी ने बताया कि राजपूत और उसके साथी सरकारी ठेकेदार अबू-बक्र सैयद को गिरफ्तार किया गया और शुक्रवार देर रात 12 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। प्राथमिकी के अनुसार, यह मामला तब सामने आया जब परियोजना प्रशासक के कार्यालय ने कुछ सिंचाई परियोजनाओं के लिए 3.75 करोड़ रुपये की मांग करने वाले फर्जी कार्यालय से प्राप्त एक प्रस्ताव के बारे में पूछताछ की।
इसमें कहा गया है कि सिंचाई विभाग के वास्तविक अधिकारियों से पता चला है कि संबंधित कार्यालय अस्तित्व में ही नहीं है। प्राथमिकी में कहा गया है कि आगे की जांच से पता चला कि 2021-22 और 2022-23 में 1.97 करोड़ रुपये और 2.18 करोड़ रुपये की परियोजनाओं के लिए फर्जी कार्यालय से इसी तरह के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी, और धन ई-भुगतान मोड में जारी किया गया था।
जुलाई 2021 में कार्यालय खोलकर राज्य को 4.16 करोड़ रुपये का चूना लगाया
अधिकारी ने बताया कि राजपूत ने जुलाई 2021 में कार्यालय स्थापित किया था और राज्य को 4.16 करोड़ रुपये का चूना लगाने के लिए खुद को एक सरकारी कर्मचारी की पहचान दी थी। संभवत: पूर्व या मौजूदा अधिकारियों की भी इसमें मिलीभगत हो सकती है। उन्होंने कहा कि कार्यालय ने प्रस्ताव के दस्तावेजों को असली दिखाने के लिए फर्जी मुहरों और जाली हस्ताक्षरों का भी इस्तेमाल किया।
दोनों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 170 (लोक सेवक के पद पर होने का दिखावा करना), 419 (व्यक्ति द्वारा धोखाधड़ी) और अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। गुजरात कांग्रेस ने मामले की विस्तृत जांच की मांग की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फर्जी सरकारी कार्यालय के नाम पर हुए करोड़ों रुपये के घोटालों में ‘वास्तविक दोषियों’ के नाम सामने आएं।
गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोषी ने कहा, “इस तरह का घोटाला संदेह पैदा किए बिना दो साल तक नहीं चल सकता। यह बड़े राजनीतिक वर्ग और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के आशीर्वाद और मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता है।”