अहमदाबाद, गुजरात प्रदेश कांग्रेस लंबे समय बाद एकजुटता देखने को मिल रही थी लेकिन अहमदाबाद महानगरपालिका के नेता विपक्ष पद को लेकर एक बार फिर गुटबाजी सामने आ गई। कांग्रेस एक गुट शहजाद खान पठान को नेता विपक्ष बनाना चाहता है। अहमदाबाद महानगरपालिका में नेता विपक्ष पद को लेकर लंबे समय से लॉबिंग चल रही है। नेता विपक्ष के पद पर आधा दर्जन नेता दावेदारी जता रहे हैं लेकिन रविवार को जब प्रदेश आला कमान की ओर से दानी लिम्डा से पार्षद शहजाद खान पठान का नाम आगे किया गया तो करीब 11 कांग्रेस पार्षदों ने अपने इस्तीफे सौंप दिए।
कांग्रेस पार्षद कमलाबेन चावड़ा, निरव बक्षी, हाजी मिर्जा, माधुरी कलापी, इकबाल शेख, जमना वेगड़ा, कामिनी बेन झा,तस्लीमा तिरमीजी, जुल्फी खान पठान, निकुल सिंह तोमर आदि पार्षदों ने शहजाद खान पठान को नेता विपक्ष बनाने का विरोध करते हुए प्रदेश आलाकमान के समक्ष इस्तीफे भेज दिये हैं। कांग्रेस में नेता विपक्ष पद को लेकर लंबे समय से पार्षदों के बीच खींचतान चल रही थी। महापौर की ही तरह नेता विपक्ष का भी ढाई-ढाई साल का कार्यकाल है। पिछले साल हुए महानगर पालिका के चुनाव के बाद आंतरिक खींचतान के चलते कांग्रेस नेता विपक्ष का चयन नहीं कर पाई थी करीब 10 माह से यह पद खाली चल रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष के पद पर जगदीश ठाकोर तथा नेता विपक्ष के लिए सुखराम राठवा की नियुक्ति के बाद कांग्रेस में सब कुछ ठीक-ठाक होने लगा था लेकिन महानगरपालिका में नेता विपक्ष पद को लेकर एक बार फिर अहमदाबाद के चार विधायक तथा एक दर्जन पार्षद आमने-सामने आ गए हैं। गौरतलब है कि एआईएमआईएम के मुखिया एवं सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पिछली गुजरात यात्रा के दौरान शहजाद खान ने उनके साथ एक निजी मुलाकात की थी जिसके बाद उनके कांग्रेस छोड़कर ओवैसी की पार्टी में शामिल होने की अटकलें शुरू हो गई थी।
उधर शहजाद का कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष जगदीश ठाकोर से मिलकर उन्होंने अपने समर्थकों एवं पार्टी के कार्यकर्ताओं की भावना से अवगत कराया है। उनका साफ कहना है कि पार्टी अध्यक्ष एवं आलाकमान को किसी भी तरह से दबाव में लेने की कोई मंशा नहीं है हर एक वर्ग तथा नेता को राजनीति में नई-नई जिम्मेदारी हासिल करने के लिए तैयार रहना पड़ता है और इसके लिए वह भी पीछे नहीं हटेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में कोई आंतरिक खींचतान नहीं है हर एक नेता अपनी राय रखने को स्वतंत्र है।
मनपा में नेता विपक्ष को लेकर कांग्रेस का यह नया विवाद पार्टी को आंतरिक रुप से नुकसान पहुंचा सकता है। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा की मेहनत के बाद बड़ी मुश्किल से प्रदेश कांग्रेस पटरी पर लौटी थी जिसे एक बार फिर गुटबाजी का ग्रहण लग गया। कांग्रेस में ओबीसी दलित एवं अल्पसंख्यक को कोर वोट बैंक माना गया है। गुजरात विधानसभा में भी अल्पसंख्यक समुदाय से कांग्रेस के ग्यासुद्दीन शेख, इमरान खेड़ावाला शहीद तीन विधायक हैं जबकि महानगर पालिका में कांग्रेस के पार्षदों की संख्या महज दो दर्जन है इनमें से 11 शहजाद खान का विरोध कर रहे हैं ।