केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ पिछले 25 दिनों से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. हालांकि इस आंदोलन के दौरान कुछ किसानों की मृत्यु भी हुई. प्रदर्शन के दौरान मरने वाले किसानों की याद में रविवार को दिल्ली बॉर्डर पर श्रद्धांजलि सभा रखी गई.
गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत (Harish Rawat) भी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि, “मैं किसान हूं, किसान का बेटा हूं. किसान जिंदाबाद कहने आया हूं. भगवान और किसान से कोई नहीं जीता है. यदि कोई इन दोनों से जीत जाएगा, उस दिन अनर्थ हो जाएगा.”
उन्होंने कहा कि किसान और भगवान एक ही हैं. जो किसान को परेशान करेगा वो भगवान को परेशान करेगा. मैं सरकार से यही कहना चाहता हूं कि किसानों की मांगों को माना जाए. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री ज्यादा देर तक बॉर्डर पर नहीं रुके और उत्तराखंड के लिए रवाना हो गए.
दरअसल रविवार को बॉर्डर पर मृतक किसानों के लिए श्रंद्धाजलि सभा आयोजित की गई थी. प्रदर्शनकारी किसानों ने इन सभी मौतों के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. किसानों ने अपने साथियों को शहीद का दर्जा दिया और कहा कि बहुत दु:ख है कि हमारे भाई हमारे बीच नहीं रहे, ये सभी शहीद हैं.
प्रदर्शनकारी किसान कानूनों में हुए संशोधन के लिए तैयार नहीं हैं. बल्कि उनकी मांग है कि विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लिया जाए. केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 6 दौर की बातचीत के बाद भी अब तक कोई हल नहीं निकल सका है.