पूर्व क्रिकेटर और तृणमूल कांग्रेस नेता लक्ष्मी रतन शुक्ला ने पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार से इस्तीफा दे दिया है. साथ ही लक्ष्मी रतन शुक्ला ने हावड़ा टीएमसी के जिलाध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया है. मंत्री पद और टीएमसी जिलाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने वाले लक्ष्मी रतन शुक्ला की राजनीति में पहचान ममता बनर्जी कैबिनेट के सबसे युवा मंत्री के रूप में हुई थी. साथ ही इससे पहले उन्होंने अपनी पहचान क्रिकेट के मैदान से बना ली थी.
लक्ष्मी रतन शुक्ला ने काफी क्रिकेट खेला लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट में उनके डेब्यू और आखिरी मैच में ज्यादा अंतर नहीं था यानी लक्ष्मी रतन शुक्ला कुछ दिनों तक ही अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपने बल्ले का कमाल दिखा पाए थे. 1997-98 में उन्होंने बंगाल की तरफ से रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया था.
उन्हें साल 1999 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम से खेलने का अवसर मिला, लेकिन वो अपने करियर में सिर्फ 3 ही वन डे मैच खेल पाए. 1999 में पहला मैच खेलने के बाद साल 1999 में ही वेस्टइंडीज के साथ खेला गया मैच उनका आखिरी अंतरराष्ट्रीय वन डे मैच भी बन गया.
लंबे समय तक उनकी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम में वापसी नहीं हुई और उन्होंने साल 2015 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया. इसके बाद 2008-13 तक कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ खेले, 2014 में दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ खेले और फिर 2015 में सनराइजर्स हैदराबाद ने उनके साथ कॉन्ट्रेक्ट किया. उनकी टीम ने पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की कप्तानी में साल 2012 की विजय हजारे ट्रॉफी जीती थी. इसके बाद उन्होंने क्रिकेट जगत को अलविदा कह दिया.
साल 2016 में लक्ष्मी रतन शुक्ला ने राजनीति पिच पर अपना कमाल दिखाने की ठानी और टीएमसी के बैनर के साथ राजनीति में प्रवेश किया. इसके बाद हावड़ा उत्तर सीट से विधानसभा चुनाव और इस चुनाव में बीजेपी की लोकप्रिय नेता रूपा गांगुली को सियासी मात दी. इसके बाद उन्हें ममता बनर्जी सरकार में खेल और युवा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई. हालांकि, अब आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया. अबी शुक्ला टीएमसी विधायक बने हुए हैं.