राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक सात साल का बच्चा खेलते-खेलते गायब हो जाता है. घर वाले, पड़ोस वाले, मोहल्ले वाले और यहां तक कि पुलिस वाले उसकी तलाश में पहले ही दिन से जुट जाते हैं. एक हफ्ता बीतता है. दो हफ्ता बीतता. तीसरा और चौथा हफ्ता भी बीत जाता है. मगर न तो किडनैपिंग की कॉल आती है और न ही किसी शव के मिलने की ख़बर. फिर सवा महीने बाद बच्चे के पड़ोस वाले घर से बदबू की शक्ल में सुराग बाहर आता है और ये सुराग न सिर्फ बच्चे का राज खोलता है, बल्कि उसके साथ दरिंदों जैसे बर्ताव करने वाले खूनी अंकल का दिल दहला देने वाला सच भी खोलकर रख देता है.
अचानक गायब हुआ बच्चा
बीती 7 जनवरी की शाम करीब सवा पांच बजे तक मासूम आशीष मोहल्ले की गलियों में ही खेल रहा था. लेकिन पंद्रह मिनट गुज़रते-गुज़रते वो अचानक कहीं गायब हो गया. पहले तो लोगों को उसके गायब होने का पता ही नहीं चला, लेकिन जब तक देर तक किसी ने उसे नहीं देखा तो बेचैनी बढ़ गई. अब पूरा मोहल्ला बच्चे की तलाश में लग गया. और इनमें पड़ोस में रहने वाला उसका मुंहबोला अंकल अवधेश भी शामिल था.
पुलिस से शिकायत
और तो और जल्द ही इस सिलसिले में पुलिस से भी शिकायत की गई और पुलिस ने घरवालों और पड़ोसियों के साथ-साथ पड़ोस में रहने वाले बच्चे के मुंहबोले अंकल अवधेश से भी पूछताछ की. लेकिन तब भी पुलिस को एक बार भी इस बात की भनक नहीं लगी कि मासूम आशीष की गुमशुदगी के पीछे अवधेश का ही हाथ हो सकता है.
खुद को सीबीआई अफसर बताता था आरोपी
असल में बच्चे के घरवालों से अवधेश के बेहद अच्छे रिश्ते थे. वो ना सिर्फ़ उनके गांव का ही रहने वाला था बल्कि पहले बच्चे के परिवार के साथ ही रहता था. और तो और वो आस-पड़ोस में भी अवधेश ने खुद सीबीआई ऑफ़िसर बता रखा था और कहता था कि वो यूपीएससी की तैयारी कर रहा है. उसने पड़ोस के कई लड़कों को अपनी पहुंच और पावर की बदौलत सरकारी नौकरी लगा देने का झांसा भी दे रखा था. कहने की ज़रूरत नहीं है कि इन हवाबाज़ियों की बदौलत अवधेश की ना सिर्फ़ बच्चे के घर में बल्कि मोहल्ले में भी अच्छी खासी इज्ज़त थी. यहां तक कि बच्चे के गायब होने पर वो बच्चे के पिता के साथ रिपोर्ट लिखवाने थाने भी पहुंचा था.
लाश को सूटकेस में डालकर रखा
ऐसे में पुलिस स्वरूप नगर से लेकर बिहार में बच्चे के गांव तक की खाक छानती रही. और फिर इस तरह आशीष को गायब हुए करीब महीने भर का वक़्त निकल गया. उधर, अवधेश के कमरे में रखी बच्चे की लाश सड़ने लगी थी. हालांकि पकड़े जाने से बचने के लिए क़ातिल ने तमाम तरह की कोशिशें की थी. उसने लाश को ना सिर्फ़ एक पॉलीथीन के पैकेट में पैक कर रखा था बल्कि उसे एक बड़े से सूटकेस में भरकर अच्छी तरह बंद कर दिया था.
बदबू कम करने के लिए छिड़कता था परफ्यूम
लेकिन इसके बावजूद लाश से हर गुज़रते दिन के साथ बदबू बढ़ने लगी. पड़ोसियों को शक ना हो इसलिए वो अपने कमरे में तरह-तरह के परफ्यूम छिड़कता रहा. लेकिन जब बदबू नहीं रुकी तो उसने अपने कमरे से मरे हुए चूहे निकाल कर दिखाए और तो और वो हर दूसरे दिन कमरे में चूहे मार कर छिपाने लगा और बदबू की बात चलते ही मरे हुए चूहे निकाल कर पड़ोसियों को दिखाने लगता.
पुलिस को गुमराह करता रहा आरोपी
ऐसे में पुलिस क़ातिल और मकतूल के आस-पास होने के बावजूद उन तक नहीं पहुंच पा रही थी. इस सिलसिले में पुलिस ने कई बार अवधेश से पूछताछ की, लेकिन हर बार वो पुलिस को गुमराह करने में भी क़ामयाब रहा. लेकिन करीब सवा महीने गुज़रने के बाद धीरे-धीरे पुलिस के शक की सुई अवधेश पर जाकर ही टिकने लगी. इसकी कई वजहें थीं.
बच्चे की बहन ने किया खुलासा
अब अवधेश का व्यवहार बदलने लगा था वो अक्सर अपना मोबाइल फ़ोन स्विच्ड ऑफ़ रखने लगा था. एक सीसीटीवी फुटेज में वो बच्चे के साथ जाता हुआ भी दिखा. उसने बच्चे को एक साइकिल दिलाने की भी बात कही थी, लेकिन इसके बारे में घर में किसी को बताने से मना किया था. ये बात बच्चे की बहन ने बाद में अपने घरवालों को बताई.
सख्त पूछताछ में खुला कत्ल का राज
ऐसे में जब पुलिस ने आख़िरी बार अवधेश से पूछताछ की तो वो टूट गया. उसने कुबूल कर लिया कि उसी ने ना सिर्फ़ सात साल के आशीष को अगवा किया था, बल्कि अगवा करने के एक घंटे के अंदर ही गला दबा कर उसकी जान ले ली थी. शव को सूटकेस में पैक कर दिया था. लेकिन इसके बावजूद पकड़े जाने से बचने के लिए वो ना सिर्फ़ उसे ढूंढ़ने का नाटक कर रहा था, बल्कि उसी ने बच्चे के पिता के साथ जाकर एफआईआर भी करवाई थी.