खुफिया एजेंसियों के इनपुट्स के मुताबिक, सरहद के पार पाकिस्तान किसी बड़ी खुराफात को अंजाम देने में जुटा हुआ है. ऐसी ही एक खुफिया रिपोर्ट मीडिया के हाथ लगी है. इस रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी सेना अफगानिस्तान से लगते किसी पहाड़ी इलाके में सीक्रेट जगह पर तालिबान, अफगान और पठान आतंकियों को हथियारों की ट्रेनिंग दे रही है. इन्हें पाकिस्तान के स्पेशल सर्विस ग्रुप के कमांडो ट्रेनिंग दे रहे हैं. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में बड़ी वारदात को अंजाम देने के इरादे से घुसपैठ कराने का बड़ा प्लान है.
सूत्रों ने बताया कि पाक अधिकृत कश्मीर के कई लॉन्च पैड को पाकिस्तानी सेना सीजफायर की आड़ में फिर सक्रिय कर चुकी है. यहां पर करीब 380 से ज्यादा आतंकवादियों को इकट्ठा किया गया है. सुरक्षा इस्टैब्लिशमेंट की रिपोर्ट की मानें तो आतंकवादियों की ये संख्या पिछले महीने की तुलना में 20 फीसदी से ज्यादा है.
जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए 5 अगस्त को एक साल पूरा हो चुका है. पाकिस्तान की बौखलाहट का यही कारण है. वो घाटी में किसी बड़ी वारदात के जरिए दुनिया का ध्यान कश्मीर पर खींचना चाहता है. पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को लेकर भारतीय सुरक्षा एजेंसियां घाटी में पूरी तरह चौकस हैं और लगातार आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही हैं. इस साल करीब डेढ़ सौ आतंकी अब तक मारे जा चुके हैं.
यही नहीं कश्मीर घाटी में आतंकियों के पिछलग्गू ओवरग्राउंड वर्कर्स को भी सुरक्षा एजेंसियां लगातार गिरफ्तार कर रही हैं. ये आतंकियों की परेशानी की बड़ी वजह है. इन ओवरग्राउंड वर्कर्स की कमी की वजह से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई एक नई खुराफात को अंजाम दे रही है.
खुफिया रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि महिला ग्राउंड वर्कर्स के जरिए विदेशी आतंकी लोकल मदद लेने में जुटे हुए हैं. ये मदद हथियारों और फंडिंग पहुंचाने, दोनों तरह की है.
सुरक्षा मामलों के जानकारों का कहना है कि हालांकि आतंकी पहले भी महिला ग्राउंड वर्कर्स का इस्तेमाल करते रहे हैं लेकिन वो खुलकर सामने नहीं आती थीं. जानकारी के मुताबिक दुख्तरान-ए-मिल्लत संगठन की प्रमुख आसिया अंद्राबी और उनकी टीम के लोग इसी तरीके से आतंकियों को हथियार पहुंचाने और मैसेज देने का काम करते थे. एनआईए की कार्रवाई के बाद आसिया अंद्राबी और उसकी टीम का खात्मा हुआ है. उसके बाद से आतंकी और उनके आका नई महिला ग्राउंड वर्कर्स की टीम को खड़ा करने में जुटे हुए हैं.
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने फंडिंग के लिए नया तरीका निकाला है. अब टिफिन बॉक्स के जरिए पैसा आतंकियों और उनके कमांडर्स को पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. पिछले दिनों जम्मू पुलिस ने आतंकी फंडिग की ऐसी ही कोशिश में एक डोडा के रहने वाले युवक को गिरफ्तार किया था जो आतंकी ग्रुप लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को टिफिन बाक्स के जरिये पैसे पहुंचाता था. पुलिस ने टिफिन बॉक्स से डेढ़ लाख रुपये बरामद कर आतंकियों के बड़े मंसूबे को नाकाम कर दिया था. आईएसआई ने आतंकियों को मोबाइल का इस्तेमाल करने से मना किया है, आतंकियों से कहा गया है कि कोड वर्ड के जरिए ही एक दूसरे से या अपने कमांडर्स से बात करें.
रक्षा मामलों के जानकार मेजर जनरल पीके सहगल ने मीडिया से बातचीत में कहा, “अमेरिका में अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होने हैं और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यह कह चुके हैं कि अफगानिस्तान में वह अपनी फोर्स को कम करना चाहते हैं.
तालिबान शांति वार्ता की ओर बढ़ रहे हैं. इसलिए पाकिस्तान की सेना और आईएसआई यह चाहती है कि तालिबानी, अफगानी आतंकी जो वहां मौजूद हैं उनको ट्रेंड करके कश्मीर की तरफ भेजा जाए, जिसका साफ मतलब है कि कश्मीर घाटी में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जिस तरीके से शांति आई है, उस शांति को आईएसआई पचा नहीं पा रहा है. यही नहीं वो ये भी चाहते हैं की आतंकी फंडिंग करने के नए-नए तरीके ढूंढे जाए, इसके लिए वह लश्कर और जैश के लोकल मॉड्यूल का इस्तेमाल कर रहे हैं.”