हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत होती है जिसका हिस्सा बनने के लिए लाखों भक्त यहां आते हैं। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि भगवान Jagannath अपने भाई बहनों के साथ गुंडीचा मंदिर क्यों जाते हैं और इस दौरान मंदिर के आस-पास के लोग किन नियमों का पालन करते हैं।
07 जुलाई 2024 से जगन्नाथ यात्रा का शुभारंभ हो चुका है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, उसके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा गुंडिचा मंदिर जाते हैं, जहां में 7 दिनों तक विश्राम करते हैं। गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। इस दौरान गुंडीचा मंदिर के 500 मीटर के दायरे में आने वाले परिवार अपनी दिनचर्या में कुछ अहम बदलाव करते हैं। आइए जानते हैं इस विषय में।
खूब खातिरदारी करती हैं मौसी
प्रतिवर्ष जगन्नाथ रथ यात्रा इसलिए निकाली जाती है, क्योंकि यह माना जाता है कि कुछ दिनों के लिए भगवान जगन्नाथ, उसके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा बीमार पड़ जाते हैं, जिस कारण वह 15 दिनों तक विश्राम करते हैं। इस दौरान किसी को भी उनके दर्शनों की अनुमति नहीं होती। इसके बाद वह आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन स्वस्थ हो जाते हैं और विश्राम कक्ष से बाहर आते हैं।
जिसकी खुशी में रथ यात्रा निकाली जाती है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ मौसी के घर आराम करने जाते हैं। मौसी के घर उनका आदर-सत्कार किया जाता है और पकवान आदि खिलाए जाते हैं। इसके बाद वह तीनों वापस जगन्नाथ मंदिर जाते हैं, जहां उनके दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी होती है।
इन नियमों का किया जाता है पालन
गुंडीचा मंदिर के 500 मीटर के दायरे में आने वाले परिवार अपनी दिनचर्या में भी कुछ अहम बदलाव लाते हैं। इंद्रदुन्म सरोवर में स्नान के बाद भक्त पूजन के बाद मिलने वाला प्रसाद खाकर ही अपने दिन की शुरुआत करते हैं। रथ यात्रा के दौरान निवासी नए कपड़े पहनने हैं। यह त्यौहार उनके लिए दिवाली से कब नहीं होता। भगवान के स्वागत के लिए घरों को बड़े ही सुंदर तरीके से सजाया जाता है।
रथ यात्रा के दौरान आसपास के निवासी पूरी तरह से मांसाहार का परहेज करते हैं। इस दौरान घर के सभी सदस्य प्रात 04 बजे उठते हैं और रात में भगवान के शयन के बाद ही सोते हैं। इस दौरान अलग-अलग पारम्परिक व्यंजन जैसे नारियल के लड्डू, अरिसा पीठा, कोरा, नारियल लड्डू, पेड़े, मंडा पीठा आदि बनाए जाते हैं।